प्रेमचंद के फटे जूते
Exercise : Solution of Questions on page Number : 65
प्रश्न 1: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर : प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताएँ –
(1) प्रेमचंद का व्यक्तित्व बहुत ही सीधा-सादा था, उनके व्यक्तित्व में दिखावा नहीं था।
(2) प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। किसी और की वस्तु माँगना उनके व्यक्तित्व के खिलाफ़ था।
(3) इन्हें समझौता करना मंजूर नहीं था।
(4) ये परिस्थितियों के गुलाम नहीं थे। किसी भी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना इनके व्यक्तित्व की विशेषता थी।
प्रश्न 2: सही कथन के सामने(✓) का निशान लगाइए –
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर : (क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है। (✗)
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। (✓)
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है। (✗)
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ अँगूठे से इशारा करते हो? (✗)
प्रश्न 3 : नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए –
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर : (क) यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज़्जत का महत्व सम्पत्ति से अधिक है। परन्तु आज की परिस्थिति में इज़्जत को समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोगों के सामने झुकना पड़ता है।
(ख) यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है।
(ग) प्रेमचंद गलत वस्तु या व्यक्ति को इस लायक नहीं समझते थे कि उनके लिए अपने हाथ का प्रयोग करके हाथ के महत्व को कम करें बल्कि ऐसे गलत व्यक्ति या वस्तु को पैर से सम्बोधित करना ही उसके महत्व के अनुसार उचित है।
प्रश्न 4 : पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि ‘नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर : पहले लेखक प्रेमचंद के साधारण व्यक्तित्व को परिभाषित करना चाहते हैं कि ख़ास समय में ये इतने साधारण हैं तो साधारण मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे। परन्तु फिर बाद में लेखक को ऐसा लगता है कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व दिखावे की दुनिया से बिल्कुल अलग है क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं।
प्रश्न 5 : आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
उत्तर : लेखक एक स्पष्ट वक्ता है। यहाँ बात को व्यंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं को व्यक्त करने के लिए जिन उदाहरणों का प्रयोग किया गया है, वे व्यंग को ओर भी आकर्षक बनाते हैं। कड़वी से कड़वी बातों को अत्यंत सरलता से व्यक्त किया है। यहाँ अप्रत्यक्ष रुप से समाज के दोषों पर व्यंग किया गया है।
प्रश्न 6 : पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
उत्तर : पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग मार्ग की बाधा के रुप में किया गया है। प्रेमचंद ने अपनी लेखनी के द्वारा समाज की बुराईयों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया। ऐसा करने के लिए उन्हें बहुत सारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 7 : प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर : महावीर प्रसाद द्विवेदी एक प्रसिद्ध रचनाकार हैं। जीवन भर इन्होंने सरस्वती की उपासना की। इसी कारण लक्ष्मी इनसे रुठी रही। अरे भाई ! अगर थोड़ी सी पूजा लक्ष्मी जी की भी कर देते तो क्या सरस्वती रुष्ट हो जाती। आपके अन्य मित्रों ने तो सफलता की सीढ़ी पार कर ली परन्तु इस दौर में आप थोड़े पीछे रह गए। अगर थोड़ा मन लगाकर चलते तो अकेले नहीं रह जाते।
प्रश्न 8 : आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर : पहले वेश-भूषा का प्रयोग शरीर ढ़कने के उद्देश्य से किया जाता था। परिवर्तन समाज का नियम है। इसलिए समय के बदलते रूप ने वेश-भूषा की परिभाषा को बदल दिया है। आज की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग फैशन के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं और समय के परिवर्तन के साथ अगर कोई स्वयं को न बदले तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा नहीं बनती। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने के लिए लोग अपनी आर्थिक क्षमता से बाहर जाकर वेश-भूषा का चुनाव करते हैं। आज वेश-भूषा केवल व्यक्ति की ज़रुरत न होकर उसके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग बन चुका है।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 66
प्रश्न 9 : पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर : (1) अँगुली का इशारा – (कुछ बताने की कोशिश) मैं तुम्हारी अँगुली का इशारा खूब समझता हूँ।
(2) व्यंग्य-मुसकान – (मज़ाक उड़ाना) तुम अपनी व्यंग भरी मुस्कान से मेरी तरफ़ मत देखो।
(3) बाजू से निकलना – (कठिनाईयों का सामना न करना) इस कठिन परिस्थिति में तुमने मेरा साथ छोड़कर बाजू से निकलना सही समझा।
(4) रास्ते पर खड़ा होना – (बाधा पड़ना) तुम मेरी सफलता के रास्ते पर खड़े हो।
प्रश्न 10 : प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर : लेखक ने प्रेमचंद की विशेषताओं को प्रस्तुत करने के लिए कुछ शब्दों का प्रयोग किया है। वे इस प्रकार हैं –
(1) महान कथाकार
(2) उपन्यास-सम्राट
(3) युग-प्रवर्तक