ग्राम श्री
प्रश्न 1: कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है?
उत्तर : गाँव का वातावरण अत्यंत मनमोहक है। यहाँ प्रकृति का सौंदर्य सभी लोगों के मन को अच्छा लगता है। इसलिए कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ कहा है।
प्रश्न 2: कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवि ने सरसों के पीले फूल के खिलने का वर्णन किया है, जोकि वसंत ऋतु में ही खिलते हैं। इस मौसम में चारों तरफ़ हरियाली होती है। अत: कवि ने वसंत ऋतु के सौन्दर्य का वर्णन किया है।
प्रश्न 3: गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है?
उत्तर : ‘मरकत’ ‘पन्ना’ नामक रत्न को कहते हैं। जिसका रंग हरा होता है। मरकत के खुले डिब्बे से सब कुछ साफ़-साफ़ दिखता है। मरकत के हरे रंग की तुलना गाँव की हरियाली से की गई है। गाँव का वातावरण भी मरकत के खुले डिब्बे के समान हरा भरा तथा खुला-खुला सा लगता है। इसलिए गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ कहा गया है।
प्रश्न 4: अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर : अरहर और सनई के खेत कवि को सोने की किंकणियों (करधनी) के समान प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 5: भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए
उत्तर : (क) प्रस्तुत पंक्तियों में गंगा नदी के तट वाली ज़मीन को सतरंगी कहा गया है। रेत पर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ हैं, जो सूरज की किरणों के प्रभाव से चमकने लगती हैं। ये रेखाएँ टेढ़ी चाल चलने वाले साँपों के समान प्रतीत होती हैं।
(ख) इन पंक्तियों में गाँव की हरियाली का वर्णन प्रस्तुत किया गया है। हँसते हुए मुख के समान गाँव की हरियाली सर्दियों की धूप में आलस्य से सो रही प्रतीत होती है।
प्रश्न 6: निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक
उत्तर : हरे हरे में पुनरुक्ति अलंकार है।
हिल हरित में अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न 7: इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
उत्तर : इस कविता में उत्तरी भारत के गाँव का चित्रण हुआ है। उत्तरी भारत, भारत के खेती प्रधान राज्यों में प्रमुख है।
प्रश्न 8: भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत कविता भाव तथा भाषा दोनों ही तरफ़ से अत्यंत आकर्षक है। यहाँ प्रकृति का मनमोहक रुप प्रस्तुत किया गया है तथा प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। कविता की भाषा अत्यंत सरल तथा सहज है। कविता को कठिन भाषा के प्रयोग से बोझिल नहीं बनाया गया है। अलंकारो का प्रयोग करके कविता के सौन्दर्य को बढ़ाया गया है। रुपक, उपमा, अनुप्रास अलंकारो का प्रयोग उचित स्थान पर किया गया है।