अंतरा भाग -1 रांगेय राघव (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए )
प्रश्न 1: चमेली को गूँगे ने अपने बारे में क्या-क्या बताया और कैसे?
उत्तर : चमेली को गूँगे ने अपने बारे में बताया कि उसकी माँ उसके पिता के मरने के बाद उसे छोड़कर चली गई थी। उसके रिश्तेदारों ने उसे पाला था। वह उनके पास से भाग आया क्योंकि वे उसे बहुत मारते थे। उसने बहुत जगहों पर काम करके कमाया लेकिन कभी किसी के आगे भीख नहीं माँगी। किसी ने बचपन में मुँह की सफाई करते हुए उसकी काँख काट दी थी, जिसके कारण वह गूँगा हो गया। उसने ये सब चमेली को हाथ के संकेतों के माध्यम से बताया।
प्रश्न 2:गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार क्या अनुभव किया?
उत्तर : गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार अनुभव किया कि यदि मनुष्य के गले के अंदर काकल ज़रा-सी भी ठीक न हो मनुष्य का अस्तित्व ही नहीं रहता है। उसके लिए यह यातना के समान है। वह कितना प्रयास करे, अपने दिल की बात किसी को बता नहीं पता है।
प्रश्न 3:गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर : गूँगे ने संकेत के माध्यम से बताया कि वह स्वाभिमानी है। उसने अपने सीने पर हाथ रखकर संकेत किया कि उसने आज तक किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाया है। उसने कभी भीख नहीं माँगी है। उसने अपनी भुजाओं को दिखाया और संकेत किया कि उसने मेहनत करके खाया है। उसने पेट बजाकर यह भी बताया कि उसने यह सब अपने पेट के लिए किया है।
प्रश्न 4:’मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।’ कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : संवेदनशीलता मनुष्य का स्वभाविक गुण है। इसी के प्रभाव के कारण मनुष्य में दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। आज के समय में मनुष्य ने अपनी संवेदनशीलता के प्रति आँखें बंद कर ली हैं। वह भावना उसके मन में रहती है अवश्य परन्तु मूक अवस्था में। यदि कभी वह उसके मन से बाहर आ भी जाए, तो व्यवहार में उसे ला नहीं पाता है। इसलिए कवि ने कहा है कि मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया के रूप में विद्यमान है।
प्रश्न 5:’नाली का कीड़ा! ‘एक छत उठाकर सिर पर रख दी’ फिर भी मन नहीं भरा।’- चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?
उत्तर : चमेली ने दया करके गूँगे को अपने पास रख लिया था। वह उसके छोटे-मोटे काम करता था। गूँगे का स्वभाव था कि वह कुछ समय के लिए चला जाता और फिर वापस आ जाता था। एक दिन जब गूँगा पुनः बिना बताए भाग गया, तब वह यह कथन कहती है। उसे लगता है कि गूँगा नाली के कीड़े के समान है, उसे जितना भी बेहतर जीवन दे दो मगर वह गंदगी को ही पसंद करेगा। चमेली के इस कथन से पता चलता है कि वह गूँगे जैसे लोगों के प्रति क्या सोच रखती है। वह उसे कीड़े के समान समझती है। उसे लगता है कि गूँगे को अपने पास रखकर उसने अहसान किया है। अतः वह जो चाहेगी गूँगे को कह सकती है और उसके साथ कर सकती है।
प्रश्न 6:यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता?
उत्तर : यदि बसंता गूँगा होता तो हमारी दृष्टि में चमेली का व्यवहार इसके विपरीत होता। वह बसंते को मूक-बधिरों के विद्यालय में पढ़ाती। उसे लोगों की मार खाने के लिए गली में नहीं छोड़ देती। उसे सक्षम बनाती। ऐसे उपाए ढूँढ़ती जिससे उसका बच्चा अन्य बच्चों के साथ घुल-मिलकर रहता। लोगों द्वारा उसके बच्चे को दया की दृष्टि से नहीं देख जाता।
प्रश्न 7:’उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों?
उत्तर : गूँगा चमेली को माँ के समान ही समझने लगा था। आरंभ में चमेली में उसे करुणामयी माँ का रूप दिखा था। धीरे-धीरे चमेली के साथ रहते हुए उसे अहसास होने लगा कि उसके लिए वह कुछ नहीं है। जब चमेली के बेटे बसंता ने उस पर चोरी का झूठा इल्ज़ाम लगाया, तो उससे यह सहा नहीं गया। उसे उम्मीद थी कि चमेली उसका पक्ष लेगी। इसके विपरीत चमेली ने गूँगे के स्थान पर अपने बेटे का पक्ष लिया। गूँगे को यह बात बुरी लगी। चमेली के इस व्यवहार ने उसे दुखी ही नहीं किया बल्कि उसकी आँखों में पानी भी भर दिया। उसकी आँखों में चमेली ने अपने पक्षपातपूर्ण व्यवहार की शिकायत पढ़ ली थी। वह चमेली के पक्षपात भरे व्यवहार से आहत था और उसके लिए उसमें तिरस्कार भी था।
प्रश्न 8:’गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था’- सिद्ध कीजिए।
उत्तर : गूँगे ने यह बात कई बार स्वयं संकेत के माध्यम से कही थी कि वह दया या सहानुभूति नहीं अधिकार चाहता था। अधिकार अपनत्व से उपजता है। चमेली उसे दया करके अपने पास रख लेती है लेकिन गूँगा उसे अपनत्व समझता है। वह उससे अधिकार चाहता है। जब चमेली बसंता का पक्ष लेती है, तो उसकी अधिकार भावना आहत होती है। चमेली के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के प्रति तिरस्कार गूँगे की आँखों में स्पष्ट दिखाई दे जाता है कि वह केवल अधिकार चाहता है। अधिकार ही है, जो उसे प्रेम, मान-सम्मान तथा समानता का भाव देता है। दया या सहानुभूति उसे ये सब नहीं देती है। अतः वह दया या सहानुभूति से दूर भागता है।
प्रश्न 9:’गूँगे’ कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?
उत्तर : गूँगे’ कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं। मेरे अनुसार वह सहानुभूति का पात्र नहीं है, वह सम्मान का पात्र है। यदि उसे सही लोग मिलते तथा सही दिशा-निर्देश मिलता, तो वह हमारी तरह जीवन जी पाता। उसके जीवन में व्याप्त लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है। गूँगे की लड़ाई लोगों से नहीं अपितु उस समाज है, जो उसे समानता का अधिकार नहीं देते हैं। उसकी कमी उसे सहानुभूति का पात्र बना देती है। उसके साथ कहानी में जो-जो होता है, उसे पढ़कर मन में सहानुभूति फूट पड़ती है।
प्रश्न 10:’गूँगे’ में ममता है, अनुभूति है और है मनुष्यता – कहानी के आधार पर इस वाक्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर : ‘गूँगे’ में ममता है यही कारण है कि वह चमेली से प्यार करता है। उस पर गुस्सा करता है लेकिन उसका प्रतिकार नहीं करता। उसमें अनुभूति है, वह सब समझता है। वह कुछ सुन नहीं सकता है लेकिन मनुष्य की व्यवहारिक चेष्टाओं को समझ लेता है तथा मन के भावों को पढ़ सकता है। उसमें मनुष्यता है इसी कारण वह चमेली के पुत्र बसंता को मारता नहीं है। अपना हाथ रोक लेता है। यह उसकी मनुष्यता की पहचान है।
प्रश्न 11:कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?
उत्तर : लेखक के अनुसार आज का समाज अन्याय के प्रति गूँगा या उपेक्षित रहता है। समाज में अपंग लोगों पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार होते रहते हैं लेकिन लोग चुपचाप देखते रहते हैं। वे उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं लेकिन जब कुछ करने का मौका आता है, तो वे स्वयं शोषण करने वाले बन जाते हैं। उनमें न संवेदनाएँ रहती है न मानवता। बस दर्शक बनकर अत्याचार देखते रहते हैं। उन्हें इनके प्रति अपने दायित्व दिखाई नहीं देते। किसी मनुष्य में यदि संवेदनाएँ या मानवता आ भी जाती है, तो वे क्षणिक होती हैं। अतः लेखक ने गूँगे बोलकर समाज में व्याप्त ऐसे लोगों की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 12:निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) करुणा ने सबको ………………………………… जी जान से लड़ रहा हो।
(ख) वह लौटकर चूल्हे पर ………………………….. आदमी गुलाम हो जाता है।
(ग) और फिर कौन …………………………………… ज़िंदगी बिताए।
(घ) और ये गूँगे ………………………………………. क्योंकि वे असमर्थ हैं?
उत्तर :
व्याख्या- वह लोगों को अपने विषय में बताने की भरसक कोशिश कर रहा है। उसे देखकर लोगों को उस पर दया हो आती है। वह इसके लिए बोलने का प्रयास करता है लेकिन अपने इस प्रयास में कामयाब नहीं हो पाता है। उसके मुँह से कान को चीरने वाली आवाज़ निकलती है। यह आवाज़ कौवे के स्वर जैसी कर्कश और काँय-काँय के अतिरिक्त कुछ नहीं होती। लेखक उसके बोलने के प्रयास में मुख से निकलने वाली आवाज़ को और भी स्पष्ट तरीके से बताता है। वह कहता है कि उसके मुख से अस्पष्ट ध्वनियाँ निकल रही हैं। ये ध्वनियाँ किसी को समझ नहीं आती हैं। ऐसा लगता है कि आदिम मानव बोलने का प्रयास कर रहा हो। लेखक कहता है कि मानो वह आदिम मानव अपने में उठने वाले विचारों को बताने के लिए भाषा का निर्माण करने के आरंभिक चरण में हो।(ख) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है।
व्याख्या- चमेली खाना बनाने के लिए लौट आती है। वह गूँगे की स्थिति के बारे में सोचती है। उसका ध्यान चूल्हे की आग पर जाता है। वह सोचती है कि इस आग के कारण ही पेट की भूख मिटाने के लिए खाना बनाया जा रहा है। यही खाना उस आग को समाप्त करता है, जो पेट में भूख के रूप में विद्यमान है। इसी भूख रूपी आग के कारण एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी स्वीकार करता है। यदि यह आग न हो, तो एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी कभी स्वीकार न करे। यही आग एक मनुष्य की कमज़ोरी बन उसे झुका देती है।(ग) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है। बसंता ने गूँगे पर चोरी का आरोप लगाया है। चमेली जब पूछती है, तो वह कुछ नहीं कह पाता है। चमेली ऐसे ही चली जाती है।
व्याख्या- जब गूँगा उसकी बात का उत्तर नहीं दे पाता है, तो वह सोचती है कि यह मेरा अपना नहीं है। अतः मुझे इसके बारे में इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है। यदि उसे हमारे साथ रहना है, तो उसे हमारे अनुसार रहना पड़ेगा। इस तरह सोचकर चमेली सोचती है कि नहीं तो उसके कुत्तों के समान दूसरा का झूठा खाकर ही जीवनयापन करना पड़ेगा।
(घ) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है।
व्याख्या- चमेली गूँगे के बारे सोची है कि इस प्रकार के गूँगे पूरे संसार में विद्यमान हैं। ये अपनी बात कहने में असमर्थ हैं। इनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है परन्तु अपनी लाचारी के कारण कह नहीं पाते हैं। इनके पास बोलने की शक्ति ही नहीं है। ये न्याय तथा अन्याय के मध्य भेद सरलता से कर सकते हैं क्योंकि इनका ह्दय इस विषय में सोचने-समझने में सक्षम है। ये भी अपने साथ हिंसा करने वाले को जवाब देने की इच्छा और क्षमता रखते हैं। परन्तु उस हिंसा का विरोध नहीं कर सकते हैं। कारण इनके पास आवाज़ नहीं है। जो है, उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है। आज यदि देखा जाए, तो समाज में इनके अतिरिक्त और भी गूँगे हैं। वे जीवनभर शोषण गूँगों के समान झेलते रहते हैं, उसका विरोध नहीं करते।
प्रश्न 13:निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) कैसी यातना है कि वह अपने ह्दय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।
(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसी ही उसने भी कुछ नहीं कहा।
उत्तर :
(क) चमेली सोचती है कि गूँगे के लिए यह कितना कष्ट से भरा है। ऐसी स्थिति उसके लिए यातना के समान है। वह अपने ह्दय में विद्यमान हर बात को बता देना चाहता है लेकिन कह नहीं पाता। उसके पास आवाज़ नहीं है। अतः बात उसके ह्दय में अंदर ही रह जाती है।
(ख) चमेली गूँगे से प्रश्न का उत्तर माँगती है लेकिन वह कुछ नहीं बोलता है। चमेली उसकी स्थिति मंदिर में रखे देवता की मूर्ति के समान मानती है। उस मूर्ति के आगे मनुष्य अपने सुख-दुख सब कहता है लेकिन उसे वहाँ से कभी कोई उत्तर नहीं मिलता है। बस यही स्थिति उसके साथ भी है। गूँगे को कुछ भी कहो वह कुछ नहीं कहता क्योंकि उसे कुछ सुनाई नहीं देता है।
प्रश्न 14:निम्नलिखित पंक्तियों को अपने शब्दों में समझाइए-
(क) इशारे गज़ब के करता है।
(ख) सड़ से एक चिमटा उसकी पीठ पर जड़ दिया।
(ग) पत्ते चाटने की आदत पड़ गई है।
उत्तर :
(क) इशारे बहुत अच्छे करता है।
(ख) अचानक से उसकी पीठ पर एक चिमटा मार दिया।
(ग) झूठा खाने की आदत पड़ गई है।
प्रश्न 15:समाज में विकलांगों के लिए होने वाले प्रयासों में आप कैसे सहयोग कर सकते हैं?
उत्तर : समाज में विकलांगों के लिए अनेक प्रकार के सहयोग हो रहे हैं। उनके उत्थान के लिए नौकरी मैं आरक्षण, विद्यालय, कॉलेज़ों तथा बसों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। हमें चाहिए कि उन स्थानों में उन्हें सहयोग दें। उदाहरण के लिए बसों में उनके लिए जो सीटें निर्धारित की गई हैं, विकलांग व्यक्ति के आने पर तुरंत दी जाए। उनका मज़ाक न उड़ाया जाए यदि कोई उनके साथ मज़ाक करे, तो उसे मना किया जाए। उन्हें सामान्य नागरिक की तरह जीने दिया जाए।
प्रश्न 16:विकलांगों की समस्या पर आधारित ‘स्पर्श’, ‘कोशिश’ तथा ‘इकबाल’ फ़िल्में देखिए और समीक्षा कीजिए।
उत्तर : विद्यार्थी इस विषय पर स्वयं कार्य करें।