आरोह भाग -1 मीरा (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए )
प्रश्न 1:मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती हैं? वह रूप कैसा है?
उत्तर : मीरा के लिए ‘कृष्ण’ उनके पति हैं। कृष्ण का यह रूप मीरा के अनुसार मन को हरने वाला है। वे इस रूप पर स्वयं को वार सकती हैं। जिस कृष्ण ने सिर पर मुकुट पहना है, वही कृष्ण उनके पति हैं।
प्रश्न 2:भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी
अब तो बेलि फैलि गई, आणंद फल होयी
(ख) दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी
दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी
उत्तर :
(क) इस पंक्ति का भाव सौंदर्य इस प्रकार है- मीरा ने दुखों और कष्टों के मध्य कृष्ण के प्रेम की बेल को बोया है अर्थात कृष्ण के प्रेम को उन्होंने ऐसे ही नहीं पाया है। इसके लिए उन्हें बहुत दुख और कष्टों का सामना करना पड़ा है। अब यह बेल चारों ओर फैल गई है। इसमें आनंद रूपी फल लग रहे हैं। भाव यह है कि अब कृष्ण की प्रेम रूपी बेल फल-फूल रही है। अब इससे उन्हें आनंद रूपी फल की प्राप्ति हो रही है। वह इसे खोना नहीं चाहती है।
शिल्प-सौंदर्य इस प्रकार है-
1. सींचि-सींचि में ‘सींचि’ शब्द की उसी रूप में पुनरुक्ति होने के कारण यहाँ पर पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
2. ‘प्रेम-बेलि’ और ‘आणंद-फल’ के अंदर रूपक अलंकार विद्यमान है।
3. इसके अंदर राजस्थानी और ब्रजभाषा का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
(ख) इस पंक्ति का भाव सौंदर्य इस प्रकार है- इन पंक्तियों के अंदर मीरा मनुष्य को संसार तत्व को आत्मसात कर बेकार की बातों को त्यागने का परामर्श देती है। मथनी के माध्यम से दूध को बिलोना प्रतीक है; प्रयास का। मीरा के अनुसार जब दही को बिलोया जाता है तभी हमें घी प्राप्त होता है। अतः ईश्वर को प्राप्त करना है, तो हमें प्रयास करना चाहिए।
शिल्प-सौंदर्य इस प्रकार है-
1. ‘दूध की मथनियाँ’ में रूपक अलंकार है।
2. प्रेमपूर्वक बिलोना में लाक्षणिकता का प्रयोग हुआ है।
3. इसके अंदर राजस्थानी और ब्रजभाषा का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
प्रश्न 3:लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?
उत्तर : मीरा कृष्ण से बहुत प्रेम करती है। उसने कृष्ण को पति रूप में वरण कर लिया है। वह अपने कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूर्ति के आगे नृत्य करती रहती है। संतों के मध्य बैठना मीरा को अच्छा लगता है। इन सब कारणों से लोग मीरा को बावरी कहते हैं।
प्रश्न 4:‘विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरां हाँसी’ इसमें क्या व्यंग्य छिपा है।
उत्तर : इसमें मीरा ने महाराजा राणा पर व्यंग्य किया है। राणा ने मीरा को कुलद्रोही जान उन्हें मारने का प्रयास किया था। एक राजा होकर उन्होंने इतना घृणित कार्य किया। मीरा अपने पति कृष्ण के होते निश्चिंत है। वह जानती है कि कृष्ण के होते उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। वह फिर कहीं का राजा क्यों न हो। वह ज़हर का प्याला हँसकर पी लेती है। इस तरह वह राजा की मूर्खता पर व्यंग्य कसती है।
प्रश्न 5:मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हैं?
उत्तर : मीरा को जगत के लोगों का व्यवहार उचित नहीं जान पड़ता है। जगत में व्याप्त लोगों को माया के धंधों में फँसा हुआ देखकर मीरा रोती है।
प्रश्न 6:कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा?
उत्तर : मीरा को प्रेम प्राप्ति के लिए बहुत प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा। उन्हें समाज तथा परिवार दोनों के तिरस्कार का सामना करना पड़ता होगा। सब उनका मज़ाक उड़ाते होगें। उनके प्रेम को पागलपन कहते होगें। उन्हें मारने का अनेकों बार प्रयास किया गया होगा। एक विधवा स्त्री का अन्य किसी को पति मानना समाज तथा परिवार को स्वीकार्य नहीं होगा। उनके रास्ते में विभिन्न प्रकार के रोड़े अटकाए जाते होगें। उन्हें हर प्रकार से सताया जाता होगा।
प्रश्न 7:लोक-लाज खोने का अभिप्राय क्या है?
उत्तर : हर मनुष्य की एक मर्यादा होती है। यह मर्यादा समाज में व्याप्त होती है। कोई मनुष्य जब इसके विपरीत कार्य करने लगता है, तो माना जाता है कि उसने लोक-लाज खो दी है। मीरा ऐसी भगत थीं, जिन्होंने इस लोक-लाज का ध्यान नहीं दिया। वह कृष्ण से प्रेम करती थी। उनके लिए कृष्ण से बढ़कर कोई नहीं था। समाज तथा उसकी मर्यादा उनकी भक्ति और प्रेम के मार्ग में नहीं आ सकी। उन्होंने वे सब किया जो वह करना चाहती थी। लोगों ने उनकी भक्ति को समझा मगर तब तक देर हो चुकी थी। मीरा की भक्ति शुद्ध तथा पवित्र थी। अतः लोगों द्वारा उसे स्वीकृत करना पड़ा। आगे चलकर उसी समाज ने मीरा का मंदिर बनाकर उनकी पूजा की।
प्रश्न 8:मीरा ने ‘सहज मिले अविनासी’ क्यों कहा है?
उत्तर : मीरा के अनुसार प्रभु का यह गुण है कि वह कभी मरते नहीं हैं। उन्हें सहज भक्ति के माध्यम से पाया जा सकता है।
प्रश्न 9:‘लोग कहै, मीरां भइ बावरी, न्यात कहै कुल-नासी’ मीरा के बारे में लोग (समाज) और न्यात (कुटुंब) की अलग-अलग धारणाएँ क्यों हैं?
उत्तर : लोगों के द्वारा मीरा को बावरी कहा जाता है। इसके पीछे कारण है कि लोग मीरा को कृष्ण प्रेम में डूबा देखते हैं। वह अपनी सुधबुध खोकर कृष्ण की मूर्ति के आगे नृत्य करती हैं। कृष्ण के प्रेम में रंगकर वह अपना घर बार सब छोड़ देती हैं। वह कृष्ण प्रेम में बावली होकर घूमती रहती हैं। इसके विपरीत कुटुंबियों को लगता है कि मीरा ने राज परिवार की नाक कटा दी है। वह एक रानी होकर गली-गली मारी-मारी फिरती है। लाज को छोड़कर वह मंदिरों में खुलेआम नाचती है। साधु-संतों की संगत की हुई है। एक रानी को यह शोभा नहीं देता है। यही कारण है कि लोगों तथा न्यात की अलग-अलग धारणाएँ बनी हुई हैं।