गिल्लू
Exercise : Solution of Questions on page Number : 06
प्रश्न 1: सोन जूही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर : सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में उस छोटे से जीव को याद आ गई, जिसे वे गिल्लू कहते थे। गिल्लू इसी बेल (लता) की हरियाली में छुपकर बैठ जाता था।
प्रश्न 2: पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर : कौआ बड़ा विचित्र प्राणी है – कभी समादरित तो कभी अनादरित किया जाता है। पितृपक्ष में लोग इसे आदर से बुलाकर भोजन देते हैं। कभी-कभी छत पर बैठकर ये आने वाले का संदेश भी देते हैं। कहते हैं कौआ बोले तो कोई दूर से प्रियजन आता है। परन्तु कौए की बोली बहुत कड़वी और कानों को चुभने वाली होती है इसलिए सब इसे भगा कर अनादरित भी करते हैं।
प्रश्न 3: गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर : लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 07
प्रश्न 4: लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर : लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास आकर खेलता फिर सर्र से पर्दे पर चढ़ जाता फिर उतनी ही तेज़ी से उतरता। इस तरह भाग दौड़ करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए उठ न जाती।
प्रश्न 5: गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर : गिल्लू के जीवन का पहला बसंत आया। अर्थात् गिल्लू एक वर्ष का हो गया था। कमरे में बाहर के फूलों की सुगंध फैल रही थी बाहर की गिलहरियाँ आकर जाली के पास बैठ कर चिक् चिक् करती। उन्हें देखकर गिल्लू उनके पास आकर बैठ जाता उसको इस तरह बाहर निहारते हुए देखकर लेखिका ने इसे मुक्त करना आवश्यक समझा। लेखिका ने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया जिससे गिल्लू बाहर आ जा सके।
प्रश्न 6: गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर : एक बार लेखिका बीमार हो गई तो गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हें पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता। इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।
प्रश्न 7: गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
उत्तर : गिलहरियों का जीवन केवल दो वर्ष का होता है। अत: गिल्लू के जीवन का भी अंत समय आ गया था। उसने दिन भर कुछ भी नहीं खाया न बाहर गया अंत समय की मुश्किल के बाद भी वह झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आ गया और अपने ठंडे पंजों से उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे पहले उसने घायल अवस्था में पकड़ा था। इन्हीं चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका अंत समय समीप है।
प्रश्न 8: ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’ −का आश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस कथन का आशय यह है कि सुबह होते होते गिल्लू की मृत्यु हो गई और वह हमेशा के लिए सो गया ताकि वह किसी नए जीवन को पा सके, कही और जन्म लेकर नया जीवन पा सके।
प्रश्न 9: सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर : सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि बनाई गई क्योंकि यह लता गिल्लू को बहुत पसंद थी और साथ ही लेखिका को विश्वास था कि इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे फूल के रुप में देखेगी। जुही में जब पीले फूल लगेंगे तो लेखिका के समक्ष गिल्लू की स्मृति साकार हो जाएगी। इससे उन्हे संतोष मिलेगा।