Exercise : Solution of Questions on page Number : 85
प्रश्न 1: पुस्तक के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में लेखक ने सजीव ढंग से अवध की तसवीर प्रस्तुत की है। तुम भी अपने आसपास की किसी जगह का ऐसा ही बारीक चित्रण करो। यह चित्रण मोहल्ले के चबूतरे, गली की चहल-पहल, सड़क के नज़ारे आदि किसी का भी हो सकता है जिससे तुम अच्छी तरह परिचित हो।
उत्तर 1: इस प्रश्न का उत्तर स्वलिखित हो।
प्रश्न 2: विश्वामित्र जानते थे कि क्रोध करने से यज्ञ पूरा नहीं होगा, इसलिए वे क्रोध को पी गए। तुम्हें भी कभी-कभी गुस्सा आता होगा। तुम्हें कब-कब गुस्सा आता है और उसका क्या परिणाम होता है?
उत्तर 2: इस प्रश्न का उत्तर स्वलिखित हो।
प्रश्न 3: राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार किया। तुम्हारी समझ में इसका क्या कारण रहा होगा?
उत्तर 3: राम मर्यादा पुरूषोत्तम थे। उनके लिए माता-पिता की आज्ञा का पालन करना रघुकुल की परम्परा के अनुकूल था तथा लक्ष्मण राम के अनुज थे इसलिए उनके लिए भी यह आवश्यक था कि वे बड़े भाई तथा माता-पिता की आज्ञा का पालन करें।
प्रश्न 4: विश्वामित्र ने कहा, ”ये जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं हैं।” उन्होंने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर 4: महर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण की हिम्मत बढ़ाने के लिए ऐसा कहा ताकि राम-लक्ष्मण डरे नहीं साथ ही जानवरों व वनस्पतियों के महत्व को समझें।
प्रश्न 5: लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। क्या ऐसा करना उचित था? अपने उत्तर का कारण बताओ।
उत्तर 5: परिस्थितिवश यह कार्य उचित था। क्रोध में आकर शूर्पणखा ने सीता पर आक्रमण कर दिया। सीता लक्ष्मण के लिए माता समान थी। और माता का अपमान किसी भी पुत्र को सहन नहीं होता है। इसी कारण लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काटकर कोई अनुचित कार्य नहीं किया।
प्रश्न 6: विश्वामित्र और कैकेयी दोनों ही दशरथ को रघुकुल के वचन निभाने की प्रथा याद दिलाते हैं। तुम अपने अनुभवों की मदद से बताओ कि क्या दिया हुआ वचन निभाना हमेशा संभव होता है?
उत्तर 6: विश्वामित्र ने यज्ञ की रक्षा के लिए राम को माँगा था। दशरथ के विचलित होने पर वचन निभाने की बात याद दिलाई। कैकयी ने जब राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा तो भी दशरथ के न समझने पर उसने वचन निभाने की प्रथा याद दिलाई। दिया हुआ वचन निभाना हमेशा संभव नहीं होता है। विशेषकर तब जब हमारे वचन पालन से कोई दूसरा प्रभावित हो। परिस्थितियाँ हमेशा अनुकूल नहीं होती हैं। समय के अनुसार मनुष्य को बदलना पड़ता है। जहाँ तक सम्भव हो सके यह प्रयास करना चाहिए कि हम वचन का पालन कर सकें। हमारे संस्कार हमें यही शिक्षा देते हैं।
प्रश्न 7: मान लो कि तुम्हारे स्कूल में रामकथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। तुम इस नाटक में उसी पात्र की भूमिका निभाना चाहते हो जो तुम्हें सबसे ज़्यादा अच्छी, दिलचस्प या आकर्षक लगती है। वह पात्र कौन सा है और क्यों?
उत्तर 7: इस प्रश्न का उत्तर स्वलिखित हो।
प्रश्न 8: सीता बिना बात के राक्षसों के वध के पक्ष में नहीं थीं जबकि राम राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे। तुम किससे सहमत हो-राम से या सीता से? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर 8: यहाँ पर सीता के विचार राम के विचार से भिन्न हैं। सीता के विचार के अनुसार बिना किसी कारण के प्राणी की हत्या करना या उसका विनाश करना अनुचित है। राक्षसों में अमानवीय गुण होते हैं जो किसी का नुकसान करने से नहीं डरते, उसमें अपनी खुशी महसूस करते हैं। ऐसे में ऐसे आंतकियों का वध आवश्यक है, अत: हम राम के विचार से सहमत हैं।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 86
प्रश्न 9: रामकथा के तीसरे अध्याय में मंथरा कैकेयी को समझाती है कि राम को युवराज बनाना उसके बेटे के हक में नहीं है। इस प्रसंग को अपने शब्दों में कक्षा में नाटक के रूप में प्रस्तुत करो।
उत्तर 9: (रानी कैकेयी के कक्ष का दृश्य। रानी कैकेयी सोयी हुई हैं। इसी समय कक्ष में मंथरा का प्रवेश।)
मंथरा :-”अब तो उठ जाओ मेरी मूर्ख रानी! यदि अभी न उठी तो जीवन भर पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा। इससे पहले कि कोई विपत्ति आए, जाग जाओ।”
कैकेयी :-(आश्चर्य से) ”क्या हुआ मंथरा? तुम इतना घबराई क्यों हो? सब कुशल-मंगल तो है न।”
मंथरा :-”जहाँ अमंगल की छाया पड़ गई हो वहाँ सब कुशल-मंगल कैसे हो सकता है? तुम्हारे दुखों का आगमन हो रहा है। महाराज दशरथ ने कल राम के राज्याभिषेक की घोषणा की है।”
कैकेयी :-(खुशी से) ” अमंगल कैसा? यह तो अति शुभ समाचार है।” (कैकेयी ने खुशी से अपने गले का हार उतारकर मंथरा को दे दिया)
”मैं बहुत प्रसन्न हूँ। अयोध्या को योग्य राजकुमार मिल गया है।”
मंथरा :-”तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। यहाँ राम की योग्यता का प्रश्न नहीं है। तुम्हारे विरूद्ध षडयंत्र रचा जा रहा है। ”(मंथरा ने हार फेंकते हुए कहा) कल सुबह राज्याभिषेक है। भरत को जानबूझकर ननिहाल भेज दिया। उसे समारोह की कोई खबर तक नहीं।”
कैकेयी :-(मंथरा को डाँटते हुए) राम मुझे माँ के समान स्नेह करते हैं। षडयंत्र कैसा? राम ज्येष्ठ पुत्र हैं। राजा बनने के अधिकारी राम ही हैं।
मंथरा :-”तुम्हारी बुद्धि पर मुझे दया आती है। तुम्हें उस वक्त समझ में आएगा जब तुम कौशल्या की दासी बनोगी। परन्तु उस समय पछताने के सिवा और कोई रास्ता न होगा। (कुछ रूककर) एक उपाय है, तुमने युद्ध के समय दशरथ की मदद की थी उसके बदले राजा ने तुम्हें दो वर देने के लिए कहा था। यह सही मौका है माँग लो एक तो राम को वनवास दूसरा भरत को राज्य।
कैकेयी :-शायद तुम ठीक कह रही हो। ”महाराज का षडयंत्र सफल नहीं होगा। भरत ही राजा बनेंगे।”
(रानी कैकेयी क्रोधित होकर कोप भवन चली गईं।)
प्रश्न 10: तुमने ‘जंगल और जनकपुर’ तथा ‘दंडक वन में दस वर्ष’ में राक्षसों द्वारा मुनियों को परेशान करने की बात पढ़ी। राक्षस ऐसा क्यों करते थे? क्या यह संभव नहीं था कि दोनों शांतिपूर्वक वन में रहते? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर 10: राक्षस अर्थात् आतंक फैलाने वाले गलत आदतों से ग्रसित होते हैं। वे तंग करने, मारने, बिगाड़ने आदि कार्यों से संतुष्ट रहते हैं जबकि मुनियों को शान्ति से रहना यज्ञ, हवन करना अच्छा लगता है। राक्षस इसमें विघ्न डाल कर खुश रहते हैं। इसलिए वे साथ नहीं रह सकते।
प्रश्न 11: हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को लंका के बारे में क्या-क्या बताया होगा?
उत्तर 11: हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद व जामवंत को लंका की सुंदरता और सुरक्षा के बारे में बताया। जैसे- लंका सोने की है, वहाँ बहुत से राक्षस पहरा देते हैं। साथ ही यह भी बताया कि रावण ने सीता को अशोक वाटिका में बंदी बना रखा है और राक्षसियाँ उनका पहरा दे रही हैं।
प्रश्न 12: तुमने बहुत सी पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ पढ़ी होंगी। उनमें क्या अंतर होता है? यह जानने के लिए पाँच-पाँच के समूह में कक्षा के बच्चे दो-दो पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ इकट्ठा करें। कथ्य (कहानी), भाषा आदि के अनुसार दोनों प्रकार की कहानियों का विश्लेषण करें और उनके अंतर लिखें।
उत्तर 12: पौराणिक कथाएँ :- मुख्यत: पुराणों में वर्णित कथाओं को पौराणिक कथा कहते हैं। जैसे – रामायण, महाभारत आदि।
लोक कथाएँ :- लोक कथा किसी एक विशेष प्रांत या स्थान में प्रचलित कथाएँ होती हैं। जिसे हम आस-पास के लोगों के मुँह से सुनते हैं। जैसे – गाँव के किसी बुज़ुर्ग के मुँह से सुनने वाली कहानियाँ।
लोक कथा तथा पौराणिक कथाओं में से दोनों की प्रमाणिकता पर संदेह है। परन्तु फिर भी पुराणों में वर्णित कथाओं को संदिग्ध माना जाता है। जहाँ तक भाषागत असमानता है – लोक कथा तथा पौराणिक कथा दोनों की भाषा में काफी अंतर होता है। लोक कथाओं की भाषा वहाँ की बोलचाल की भाषा से प्रभावित होती है। परन्तु पौराणिक कथाओं की भाषा शैली साफ-सुथरी होती है।
प्रश्न 13: क्या होता यदि-
(क) राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते।
(ख) रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता।
उत्तर 13: (क) राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते तो –
(i) सम्भवतः रघुवंश एक अच्छे राजा (दशरथ) से वंचित न होता।
(ii) राम का राज्याभिषेक हो जाता। परन्तु रघुकुल के वचन निभाने की परम्परा तोड़ने का आरोप लगता।
(iii) कुछ दुष्ट राक्षस और रावण भी न मारा जाता।
(ख) रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता तो –
(i) यह विश्वयुद्ध न होता तथा राक्षस जाति विनाश से बच जाती, मानव जाति को इतनी क्षति न उठानी पड़ती, निर्दोष लोगों को अपने प्राणों से हाथ न धोना पड़ता।
(ii) रावण का साम्राज्य जिसे सोने की लंका कहा जाता है। वो नष्ट नहीं होती।
(iii) रावण जैसे वीर विद्वान योद्धा का वध न होता। उसका वंश बच जाता।
(iv) राम और सीता का जीवन सुखमय होता।
प्रश्न 14: नीचे कुछ चारित्रिक विशेषताएँ दी गई हैं और तालिका में कुछ पात्रों के नाम दिए गए हैं। प्रत्येक नाम के सामने उपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखो-
पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबन्धु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रिय, और ज्ञानी।
राम…………………………… सीता……………………………
लक्ष्मण…………………………… कैकेयी……………………………
रावण…………………………… हनुमान……………………………
विभीषण…………………………… भरत……………………………
उत्तर 14: राम -पितृभक्त, पराक्रमी, दीनबंधु, धैर्यवान, गंभीर, न्यायप्रिय, ज्ञानी
सीता -त्यागी, उदार
लक्ष्मण -साहसी, निडर, अड़ियल, पितृभक्त, त्यागी
कैकेयी -स्वार्थी, अज्ञानी
रावण -दुश्चरित्र, कपटी, निडर, पराक्रमी, ज्ञानी
हनुमान -पराक्रमी, साहसी, निडर, भक्त, ज्ञानी, वीर, धैर्यवान
विभीषण -धैर्यवान, त्यागी, भक्त, ज्ञानी
भरत -उदार, भक्त
Exercise : Solution of Questions on page Number : 87
प्रश्न 17: यह रामकथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और उसे चार्टपेपर पर लिखकर कक्षा में लगाओ।
जानकारी प्रस्तुत करने के निम्नलिखित बिंदु हो सकते हैं-
रामकथा का नाम
रचनाकार का नाम
भाषा / प्रांत
उत्तर 17:
पुस्तक | लेखक | भाषा | |
राम कथा का नाम | (i) श्री रामचरित मानस | गोस्वामी तुलसीदास | (अवधी) |
(ii) रामायण | वाल्मिकी | (संस्कृत) |