साथी हाथ बढ़ाना
Exercise : Solution of Questions on page Number : 56
प्रश्न 1: यह गीत किसको संबोधित है?
उत्तर 1: यह गीत मज़दूरों को संबोधित है।
प्रश्न 2: इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की ज़िंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
उत्तर 2: गीत के प्रथम चरण की पंक्तियों को हम अपने जीवन में घटित होते हुए देख सकते हैं। लेखक ने इन पंक्तियों में सब लोगों और मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए इस प्रकार कहा है- अगर हम अपने जीवन में कंधे से कंधा मिलाकर चलें तो जीवन की हर कठिनाई मामूली प्रतीत होगी।
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।
प्रश्न 3: ‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’- साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
उत्तर 3: ‘साहिर’ जी ने इन पंक्तियों के माध्यम से मनुष्यों के साहस व हिम्मत को दर्शाया है। उनके अनुसार यदि मनुष्य ने मुश्किल कार्यों को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया होता कि वो असंभव थे, तो कभी मनुष्य ने विजय प्राप्त नहीं की होती। आज उसकी हिम्मत से ही अंसभव कार्य संभव हो सके हैं। सागर में पुलों का निर्माण, जहाज़ों का निर्माण, पर्वतों को काटकर मार्ग बनाना, चाँद पर जाना, दुर्गम स्थानों पर ट्रेनों के लिए मार्ग बनाना मनुष्य की हिम्मत, मेहनत व लगन का ही परिणाम है।
प्रश्न 4: गीत में सीने और बाँह को फ़ौलादी क्यों कहा गया है?
उत्तर 4 : सीने को फ़ौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि सीना मनुष्य की मज़बूत इच्छाशक्ति को दिखाता है। जब वह मेहनत करता है तो सारी मुसीबत पहले इसी सीने पर लेता है और मुसीबतों को अडिग होकर सहता है। बाँहों को फ़ौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इन्हीं बाँहों के सहारे वो मुश्किल से मुश्किल कार्यों को करने में सफल होता है। बाँहों के द्वारा ही उसने पहाड़ों के सीने में सुराख किए हैं और रास्ते बनाए हैं, इन्हीं बाँहों ने फ़ौलाद जैसे पहाड़ों को तोड़ दिया; जो उसकी असीम कार्यक्षमता की ओर इशारा करते हैं।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 57
प्रश्न 1: • अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
• एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) • ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) • इन दोनों कहावतों का अर्थ कहावत-कोश में देखकर समझो और वाक्य के संदर्भ में उनका प्रयोग करो।
उत्तर 1: (क) • (i) साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।
(ii) एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परब
एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत
साथी हाथ बढ़ाना।
(ख) • अकेला व्यक्ति कठिनाई से नहीं लड़ सकता।
श्याम ने राम को समझाया कि अगर दोनों मिलकर परीक्षा की तैयारी करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
एकजुटता में ही शक्ति होती है।
यदि हम सब मिलकर प्रयास करें तो इस चट्टान को काट सकते हैं क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
प्रश्न 2: नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ-
(क) हाथ को हाथ न सूझना
(ख) हाथ साफ़ करना
(ग) हाथ-पैर फूलना
(घ) हाथों-हाथ लेना
(ङ) हाथ लगना
उत्तर 2: (क) हाथ को हाथ न सूझना:- (अन्धेरा होना) रात को लाईट चले जाने पर हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।
(ख) हाथ साफ़ करना:- (चोरी करना) मेरी नज़र हटते ही चोर ने मोबाइल पर अपना हाथ साफ़ कर दिया।
(ग) हाथ-पैर फूलना:- (डर से घबरा जाना) चोर के हाथ में बन्दूक देखते ही मेरे हाथ पैर फूल गए।
(घ) हाथों-हाथ लेना:- (स्वागत करना) मेनका के प्रथम आने पर उसके माँ-पिताजी ने उसे हाथों-हाथ लिया।
(ङ) हाथ लगना:- (अचानक मिल जाना) रास्ते में चलते-चलते मेरे हाथ सोने की चेन लग गई