लोकगीत
Exercise : Solution of Questions on page Number : 125
प्रश्न 1: निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिंदुओं के रूप में उन्हें लिखो।
उत्तर 1: (1) लोकगीतों का हमारे देश में महत्व
(2) लोकगीतों में स्त्रियों का योगदान
(3) लोकगीतों में विभिन्नता (प्रकार)
(4) लोकगीत और शास्त्रीय संगीत
(5) लोकगीतों का विभिन्न अवसरों में प्रयोग
(6) लोकगीतों का इतिहास
(7) लोकगीत और संगीत यंत्र
(8) लोकगीत और उनकी भाषा
(9) नृत्य और लोकगीत
प्रश्न 2: हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?
उत्तर 2: हमारे यहाँ स्त्रियों के निम्नलिखित खास गीत इस प्रकार हैं-
(1) विवाह के अवसरों पर गाए जाने वाले गीत
(2) जन्म पर गाए जाने वाले गीत
(3) समूहों में रसिकप्रियों और प्रियाओं को छेड़ने वाले गीत
(4) सावन पर गाए जाने वाले गीत
(5) नदियों पर, खेतों पर गाए जाने वाले गीत
(6) संबधियों से प्रेमयुक्त छेड़छाड़ वाले गीत
(7) त्योहारों पर गाए जाने वाले गीत
प्रश्न 3: निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो) तुम लोकगीतों की कौन-सी विशेषताएँ बता सकते हो?
उत्तर 3: लोकगीतों की निम्नलिखित विशेषताएँ इस प्रकार हैं:-
(i) इनको गाते वक्त़ एक उत्साह उत्पन्न होता है।
(ii) लोकगीतों में गाँवों के जन-जीवन की झलक प्राप्त होती है।
(iii) लोकगीतों को समूह में मिलकर गाया जाता है।
(iv) लोकगीतों को साधारण ढोलक, मंजीरा, मुरली, झाँझ, करतल के साथ गाया जा सकता है।
(v) इनको गाने के लिए संगीत के ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती।
(vi) लोकगीतों से विशेष आनन्द प्राप्त होता है।
(vii) लोकगीत ऊँची आवाज़ में और मस्त होकर गाए जाते हैं।
प्रश्न 4: ‘पर सारे देश के……अपने-अपने विद्यापति हैं’ इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो।
उत्तर 4: इस वाक्य का अर्थ कुछ इस प्रकार है कि पूरब की बोलियों में हमेशा मैथिल-कोकिल विद्यापति के गीत गाए जाते हैं। जिन्होनें इन गीतों की रचना की थी और वो अपने गीतों के कारण पूरब में खासे जाने गए हैं। परन्तु इसके विपरीत सारे देश के अलग-अलग राज्यों में व उनके गाँवों में वहाँ के लोग समय को व अवसर को देखकर स्वयं ही गीतों की रचना करने वाले रचनाकार (विद्यापति) आज भी मौजूद हैं।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 126
प्रश्न 1: ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझें, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि उनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ। जैसे-लोककला।
उत्तर 1: लोकतंत्र :- भारत; विश्व में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उदाहरण है।
लोकमंच :- लोकमंच में जनता की परेशानियों को उठाया जाता है।
लोकमत :– सरकार को चाहिए कि लोकमत के अनुसार कार्य करे।
लोकवाद्य :– लोगों द्वारा बजाने वाला यंत्र।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 127
प्रश्न 2: ‘बारहमासा’ गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। नीचे विभिन्न अंकों से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है। इस सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो –
इकतारा
सरपंच
चारपाई
सप्तर्षि
अठन्नी
तिराहा
दोपहर
छमाही
नवरात्र
उत्तर 2:
इकतारा – एक तार से बजने वाला यंत्र
सरपंच – पाँचों पंचो में प्रमुख
चारपाई– चार पैरों वाली
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
अठन्नी– पचास पैसे का सिक्का
तिराहा- जहाँ तीन रास्ते आपस में मिलते हैं
दोपहर– जब दिन के दो पहर मिलते हो
छमाही– छह महीने में होने वाला
नवरात्र– नौ रातों का समूह
प्रश्न 3: को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। पिछले पाठ (झाँसी की रानी) में तुमने का के बारे में जाना। नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो-
तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने …….. .अंग्रेजी के एस या सी अक्षर ……… तरह होती है। भारत …….. विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे. …….. बना यह वाद्य अलग-अलग नामों ……… जाना जाता है। धातु की नली ……… घुमाकर एस ……… आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने ……… एक छोटी नली अलग ……… जोड़ी जाती है। राजस्थान ……… इसे बर्गू कहते हैं। उत्तर प्रदेश ……… यह तूरी मध्य प्रदेश और गुजरात ……… रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश ……… नरसिंघा ……… नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।
उत्तर 3: तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे से बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने पर एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है। राजस्थान में इसे बर्गू कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी मध्य प्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश में नरसिंघा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।