अमृतं संस्कृतम्
Exercise : Solution of Questions on page Number : 72
प्रश्न 1: उच्चारणं कुरुत-
उपलब्धासु | सङ्गणकस्य |
चिकित्साशास्त्रम् | वैशिष्ट्यम् |
भूगोलशास्त्रम् | बुद्धिम् |
विद्यमानाः | वाङ्मये |
उत्तर 1: विद्यार्थी इसका स्वयं उच्चारणं करें।
प्रश्न 2: प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तराणि लिखत-
(क) का भाषा प्राचीनतमा?
(ख) शून्यस्य प्रतिपादनं कः अकरोत्?
(ग) कौटिल्येन रचितं शास्त्रं किम्?
(घ) कस्याः भाषायाः काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्?
(ङ) काः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति
उत्तर 2:
(क) संस्कृत भाषा प्राचीनतमा।
(ख) शून्यस्य प्रतिपादनं आर्यभटः अकरोत्।
(ग) कौटिल्येन रचितं शास्त्रं अर्थशास्त्रं अस्ति।
(घ) संस्कृत भाषायाः काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्।
(ङ) संस्कृते विद्यमानाः सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति।
प्रश्न 3: प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत-
(क) सङ्णकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा का?
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं कैः समृद्धमस्ति?
(ग) संस्कृत किं शिक्षयति?
(घ) अस्माभिः संस्कृतं किमर्थं पठनीयम्?
उत्तर 3:
(क) सङ्णकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा संस्कृत अस्ति।
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं वेदैः पुराणैः नीतिशास्त्रैः चिकित्साशास्त्रादिभिश्च समृद्धमस्ति।
(ग) संस्कृत सर्वभूतेशु आत्मवत् व्यवहारं कर्तुं संस्कृत शिक्षयति।
(घ) अस्माभिः संस्कृतं अवश्यमेव पठनीयम् तेन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 73
प्रश्न 4:
इकारान्त-स्त्रीलिङ्गशब्दरूपम् अधिकृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
गति (प्रथमा) | गति: | गती | गतय: |
मति (प्रथमा) | —- | —- | मतयः |
बुद्धि (द्वितीया) | बुद्धिम् | बुद्धि | बुद्धीः |
प्रीति (द्वितीया) | —- | प्रीती | —- |
नीति (तृतीया) | नीत्या | नीतिभ्याम् | नीतिभिः |
शान्ति (तृतीया) | —- | —- | शान्तिभिः |
मति (चतुर्थी) | मत्यै/मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
प्रकृति (चतुर्थी) | —- | प्रकृतिभ्याम् | —- |
कीर्ति (पञ्चमी) | कीर्त्याः/कीर्तेः | कीर्तिभ्याम् | कीर्तिभ्यः |
गीति (पञ्चमी) | —- | गीतिभ्याम् | —- |
सूक्ति (पष्ठी) | सूक्तेः/सूक्त्याः | सूक्त्योः | सूक्तीनाम् |
कृति (षष्ठी) | —- | —- | कृतीनाम् |
धृति (सप्तमी) | धृतौ/धृत्याम् | धृत्योः | धृतिषु |
भीति (सप्तमी) | भीतौ/ | —- | —- |
मति (सम्बोधन) | हे मते! | हे मती! | हे मतयः! |
उत्तर 4:
गति (प्रथमा) | गति: | गती | गतय: |
मति (प्रथमा) | मति: | मती | मतयः |
बुद्धि (द्वितीया) | बुद्धिम् | बुद्धि | बुद्धीः |
प्रीति (द्वितीया) | प्रीतिम् | प्रीती | प्रीती: |
नीति (तृतीया) | नीत्या | नीतिभ्याम् | नीतिभिः |
शान्ति (तृतीया) | शान्त्या | शान्तिभ्याम् | शान्तिभिः |
मति (चतुर्थी) | मत्यै/मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
प्रकृति (चतुर्थी) | प्रकृत्यै/प्रकृतये | प्रकृतिभ्याम् | प्रकृतिभ्य: |
कीर्ति (पञ्चमी) | कीर्त्याः/कीर्तेः | कीर्तिभ्याम् | कीर्तिभ्यः |
गीति (पञ्चमी) | गीत्या:/गीत्ये | गीतिभ्याम् | गीतिभ्य: |
सूक्ति (पष्ठी) | सूक्तेः/सूक्त्याः | सूक्त्योः | सूक्तीनाम् |
कृति (षष्ठी) | कृते:/कृत्या | कृतयो: | कृतीनाम् |
धृति (सप्तमी) | धृतौ/धृत्याम् | धृत्योः | धृतिषु |
भीति (सप्तमी) | भीतौ/भीत्याम् | भीत्यो: | भीतिषु |
मति (सम्बोधन) | हे मते! | हे मती! | हे मतयः! |
Exercise : Solution of Questions on page Number : 74
प्रश्न 5:
रेखाङ्कितानि पदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयोः निधिः सुरिक्षतोऽस्ति।
(ख) संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा।
(ग) शल्यक्रियायाः वर्णनं संस्कृतसाहित्ये अस्ति।
(घ) वरिष्ठान् प्रति अस्माभिः प्रियं व्यवहर्त्तव्यम्।
उत्तर 5:
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयो: क: सुरक्षितोऽस्ति?
(ख) संस्कृतमेव कस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा?
(ग) शल्यक्रियाया: वर्णनं कस्याम् अस्ति?
(घ) कान् प्रति अस्माभि: प्रियं व्यवहर्त्तव्यम्?
प्रश्न 6:
उदाहरणानुसारं पदानां विभक्तिं वचनञ्च लिखत-
पदानि | विभक्तिः | वचनम् |
यथ- संस्कृतेः | षष्ठी | एकवचनम् |
गतिः | … | … |
नीतिम् | —- | … |
सूक्तयः | … | … |
शान्त्या | —- | —- |
प्रीत्यै | … | … |
मतिषु | —- | ……. |
उत्तर 6:
पदानि | विभक्तिः | वचनम् |
यथा-संस्कृतेः | षष्ठी | एकवचनम् |
गतिः | प्रथमा | एकवचनम् |
नीतिम् | द्वितीया | एकवचनम् |
सूक्तयः | द्वितीया | बहुवचनम् |
शान्त्या | तृतीया | एकवचनम् |
प्रीत्यै | चतुर्थी | एकवचनम् |
मतिषु | सप्तमी | बहुवचनम् |
प्रश्न 7:
यथायोग्यं संयोज्य लिखत-
क ख
कौटिल्येन | अभ्युदयाय प्रेरयन्ति। |
चिकित्साशास्त्रे | ज्ञानविज्ञानपोषकम्। |
शून्यस्य आविष्कर्ता | अर्थशास्त्रं रचितम्। |
संस्कृतम् | चरकसुश्रुतयोः योगदानम्। |
सूक्तयः | आर्यभटः। |
उत्तर 7:
यथायोग्यं संयोज्य लिखत-
क ख
कौटिल्येन | अर्थशास्त्रं रचितम्। |
चिकित्साशास्त्रे | चरकसुश्रुतयोः योगदानम्। |
शून्यस्य आविष्कर्ता | आर्यभटः। |
संस्कृतम् | ज्ञानविज्ञानपोषकम्। |
सूक्तयः | अभ्युदयाय प्रेरयन्ति। |