Class 8 Sanskrit Chapter 4 – सदैव पुरतो निधेहि चरणम् (लोट्-विधिलिङ्ग-प्रयोग:)
Exercise : Solution of Questions on page Number : 25
प्रश्न 2:
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-
(क) स्वकीयं साधनं किं भवति?
(ख) पथि के विषमा: प्रखरा:?
(ग) सततं किं करणीयम्?
(घ) एतस्य गीतस्य रचयिता क:?
(ङ) स: कीदृश: कवि: मन्यते?
उत्तर 2:
(क) बलम्।
(ख) पाषाणा:।
(ग) ध्येय स्मरणम्।
(घ) श्रीधर भास्कर वर्णेकर:।
(ङ) राष्ट्रवादी।
प्रश्न 3:
मञ्जूषात: क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
निधेहि विधेहि जहीहि देहि भज चल कुरु
यथा-त्वं पुरत: चरणं निधेहि।
(क) त्वं विद्यालयं ——————–।
(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं ——————–।
(ग) मह्यं जलं ——————–।
(घ) मूढ! ——————– धनागमतृष्णाम्।
(ङ) ——————– गोविन्दम्।
(च) सततं ध्येयस्मरणं ——————– ।
उत्तर 3:
(क) त्वं विद्यालयं चल।
(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं विधेहि।
(ग) मह्यं जलं देहि।
(घ) मूढ! जहीहि धनागमतृष्णाम्।
(ङ) भज गोविन्दम्।
(च) सततं ध्येयस्मरणं कुरु।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 26
प्रश्न 4:
मञ्जूषात: अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
एव खलु तथा परित: पुरत: सदा विना
(क) विद्यालयस्य ——————– एकम् उद्यानम् अस्ति।
(ख) सत्यम् ——————– जयते।
(ग) किं भवान् स्नानं कृतवान् ——————– ?
(घ) स: यथा चिन्तयति ——————– आचरति।
(ङ) ग्रामं ——————– वृक्षा: सन्ति।
(च) विद्यां ——————– जीवनं वृथा।
(छ) ——————– भगवन्तं भज।
उत्तर 4:
(क) विद्यालयस्य पुरत: एकम् उद्यानम् अस्ति।
(ख) सत्यम् एव जयते।
(ग) किं भवान् स्नानं कृतवान् खलु?
(घ) स: यथा चिन्तयति तथा आचरति।
(ङ) ग्रामं परित: वृक्षा: सन्ति।
(च) विद्यां विना जीवनं वृथा।
(छ) सदा भगवन्तं भज।
प्रश्न 5:
विलोमपदानि योजयत-
पुरत: विरक्ति:
स्वकीयम् आगमनम्
भीति: पृष्ठत:
अनुरक्ति: परकीयम्
गमनम् साहस:
उत्तर 5:
पुरत: पृष्ठत:।
स्वकीयम् परकीयम्।
भीति: साहस:।
अनुरक्ति: विरक्ति:।
गमनम् आगमनम्।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 27
प्रश्न 6:
लट्लकारपदेभ्य: लोट्-विधिलिङ्लकारपदानां निर्माणं कुरुत-
लट्लकारे |
लोट्लकारे |
विधिलिङ्लकारे |
यथा-पठति |
पठतु |
पठेत् |
खेलसि |
……… |
……… |
खादन्ति |
……… |
……… |
पिबामि |
……… |
……… |
हसत: |
……… |
……… |
नयाम: |
……… |
……… |
उत्तर 6:
लट्लकारे | लोट्लकारे | विधिलिङ्लकारे |
यथा-पठति | पठतु | पठेत् |
खेलसि | खेल | खेले: |
खादन्ति | खादन्तु | खादेयु: |
पिबामि | पिबानि | पिबेयम् |
हसत: | हसताम् | हसेताम् |
नयाम: | नयाम | नयेम |
प्रश्न 7:
यथा – गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने) |
गिरिशिखर |
पथिन् (सप्तमी-एकवचने) |
…….. |
राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने) |
…….. |
पाषाण (सप्तमी-एकवचने) |
…….. |
यान (द्वितीया-बहुवचने) |
…….. |
शक्ति (प्रथमा-एकवचने) |
…….. |
पशु (सप्तमी-बहुवचने |
…….. |
उत्तर 7:
यथा – गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने) | गिरिशिखर |
पथिन् (सप्तमी-एकवचने) | पथि |
राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने) | राष्ट्राय |
पाषाण (सप्तमी-एकवचने) | पाषाणे |
यान (द्वितीया-बहुवचने) | यानानि |
शक्ति (प्रथमा-एकवचने) | शक्ति: |
पशु (सप्तमी-बहुवचने | पशुनाम |
प्रश्न 8:
उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
यथा | पुरत: चरणं निधेहि। | आम् |
(क) | निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति। | |
(ख) | स्वकीयं बलं बाधकं भवति। | |
(ग) | पथि हिंस्रा: पशव: न सन्ति। | |
(घ) | गमनं सुकरम् अस्ति। | |
(ङ) | सदैव अग्रे एव चलनीयम्। |
उत्तर 8:
यथा | पुरत: चरणं निधेहि। | आम् |
(क) | निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति। – | न |
(ख) | स्वकीयं बलं बाधकं भवति। | न |
(ग) | पथि हिंस्रा: पशव: न सन्ति। | न |
(घ) | गमनं सुकरम् अस्ति। | न |
(ङ) | सदैव अग्रे एव चलनीयम्। | आम् |
Exercise : Solution of Questions on page Number : 28
प्रश्न 9:
वाक्यरचनया अर्थभेदं स्पष्टीकुरुत-
परित: पुरत:
नग: नाग:
आरोहणम् अवरोहणम्
विषमा: समा:
उत्तर 9:
परित: – ग्रामं परित: उद्यानम् अस्ति।
पुरत: – सत्यं पुरत: विजय अस्ति।
नग: – हिमालय: एक महान् नग: अस्ति।
नाग – शिव: नाग: धारयति।
आरोहणम् – किञ्चित यात्री वसयाने आरोहणम् करोति।
अवरोहणम् − किञ्चिदपि वसयानात् अवरोहणम् करोति।
विषमा: – सन्मार्गा: विषमा: भवति।
समा: – कुमार्गा: समा: भवति।