NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 – धर्मे धमनं पापे पुण्यम् (ऋकारान्त-स्त्रीलिङ्ग:)
Exercise : Solution of Questions on page Number : 33
प्रश्न 1:
एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) व्याधस्य नाम किम् आसीत्?
(ख) चञ्चल: व्याघ्रं कुत्र दृष्टवान्?
(ग) विस्तृते जाले क: बद्ध: आसीत्।
(घ) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्?
(ङ) अनारतं कूर्दनेन क: श्रान्त: अभवत्?
उत्तर 1:
(क) चञ्चल:।
(ख) वने।
(ग) व्याघ्र:।
(घ) लोमशिका।
(ङ) व्याघ्र:।
प्रश्न 2:
संस्कृतेन उत्तरत
(क) चञ्चलेन वने किं कृतम्?
(ख) व्याघ्रस्य पिपासा कथं शान्ता अभवत्?
(ग) जलं पीत्वा व्याघ्र: किम् अवदत्?
(घ) चञ्चल: ‘मातृस्वस:!’ इति कां सम्बोधितवान्?
(घ) जाले पुन: बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याध: किम् अकरोत्?
उत्तर 2:
(क) चञ्चलेन वने जालं विस्तीर्यमम्।
(ख) व्याधेन आनीतेन नद्या: जलं पीत्वा व्याघ्रस्य पिपासा शान्ता अभवत्।
(ग) जलं पीत्वा व्याघ्र: अवदत् यत्, “शान्ता मे पिपासा साम्प्रतं बुभुक्षितोऽस्मि। इदाभीम् अहं त्वां खादिष्यामि।”
(घ) चञ्चल: ‘मातृस्वस:!’ इति लोमशिकां सम्बोधितवान्।
(घ) जाले पुन: बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याध: प्रसन्नो भूत्वा गृहं प्रत्यावर्तत।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 34
प्रश्न 3:
अधोलिखितानि वाक्यानि क:/का कं/कां प्रति कथयति-
क:/का | कं/कां | |
यथा इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि। | व्याघ्र: | व्याधम् |
(क) कल्याणं भवतु ते। | ………. | ………. |
(ख) जना: मयि स्नानं कुर्वन्ति। | ………. | ………. |
(ग) अरे मूर्ख! धर्मे धमनं पापे पुण्यं भवति एव। | ………. | ………. |
(घ)यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति। | ………. | ………. |
(ङ) सम्प्रति पुन: पुन: कूर्दनं कृत्वा दर्शय। | ………. | ………. |
उत्तर 3:
क:/का | कं/कां | |
यथा इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि। | व्याघ्र: | व्याधम् |
(क) कल्याणं भवतु ते। | व्याघ्र: | व्याधम् |
(ख) जना: मयि स्नानं कुर्वन्ति। | नदीजलम् | व्याधम् |
(ग) अरे मूर्ख! धर्मे धमनं पापे पुण्यं भवति एव। | व्याघ्र: नदीजलम् वृक्षम् च | व्याधम् |
(घ)यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति। | वृक्ष: | व्याधम् |
(ङ) सम्प्रति पुन: पुन: कूर्दनं कृत्वा दर्शय। | लोमशिका | व्याघ्रम् |
प्रश्न 4:
सन्धिं कृत्वा लिखत-
मृग + |
आदीनाम् |
= …… |
तथा + |
एव |
= …… |
कुत्र + |
अपि |
= …… |
बुभुक्षित: + |
अस्मि |
= …… |
प्रति + |
आ+ अवर्तत |
= …… |
उत्तर 4:
मृग + | आदीनाम् | = मृगादीनाम् |
तथा + | एव | = तथैव |
कुत्र + | अपि | = कुत्रापि |
बुभुक्षित: + | अस्मि | = बुभुक्षितोऽस्मि |
प्रति + | आ+ अवर्तत | = प्रत्यावर्तत |
प्रश्न 5:
उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
|
यथा मातृ (प्रथमा) |
माता |
मातरौ |
मातर: |
स्वसृ (प्रथमा) |
……….. |
……. |
…….. |
मातृ (तृतीया) |
मात्रा |
मातृभ्याम् |
मातृभि: |
स्वसृ (तृतीया) |
……….. |
……….. |
……….. |
स्वसृ (सप्तमी) |
स्वसरि |
स्वस्रो: |
स्वसृषृ |
मातृ (सप्तमी) |
……….. |
……….. |
……….. |
स्वसृ (षष्ठी) |
स्वसु: |
स्वस्रो: |
स्वसृणाम् |
मातृ(षष्ठी) |
……….. |
……….. |
……….. |
उत्तर 5:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
यथा मातृ (प्रथमा) | माता | मातरौ | मातर: |
स्वसृ (प्रथमा) | स्वसा | स्वसरौ | स्वसर: |
मातृ (तृतीया) | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभि: |
स्वसृ (तृतीया) | स्वस्रा | स्वसृभ्याम् | स्वसृभि: |
स्वसृ (सप्तमी) | स्वसरि | स्वस्रो: | स्वसृषृ |
मातृ (सप्तमी) | मातरि | मात्रो: | मातृषु |
स्वसृ (षष्ठी) | स्वसु: | स्वस्रो: | स्वसृणाम् |
मातृ(षष्ठी) | मातु: | मात्रो: | मातृणाम् |
Exercise : Solution of Questions on page Number : 35
प्रश्न 6:
मञ्जूषात: पदानि चित्वा कथां पूरयत-
दृष्ट्वा स्वकीयै: कृतवान् कर्तनम् वृद्ध:
साट्टहासम् तर्हि क्षुद्र: मोचयितुम् अकस्मात्
एकस्मिन् वने एक: ——————— व्याघ्र: आसीत्। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्। स: बहुप्रयासं ——————— किन्तु जालात् मुक्त: नाभवत्। ——————— तत्र एक: मूषक: समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं ——————— स: तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्ध:। अहं त्वां ——————— इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: ——————— अवदत्-अरे! त्वं ——————— जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि ——————— अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: ——————— लघुदन्तै: तज्जालं ——————— कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्।
उत्तर 6:
एकस्मिन् वने एक: वृद्ध: व्याघ्र: आसीत्। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्। स: बहुप्रयासं कृतवान् किन्तु जालात् मुक्त: नाभवत्। अकस्मात् तत्र एक: मूषक: समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा स: तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्ध:। अहं त्वां मोचयितुम् इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: साट्टहासम् अवदत्-अरे! त्वं क्षुद्र: जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि तर्हि अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: स्वकीयै: लघुदन्तै: तज्जालं कर्तनम् कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्।
प्रश्न 7:
धातुं प्रत्ययं च लिखत-
पदानि = | धातु: + | प्रत्यय: |
यथा- गन्तुम् = | गम् + | ……….. |
द्रष्टुम् = | ……….. + | ……….. |
करणीय = | ……….. + | ……….. |
पातुम् = | ……….. + | ……….. |
खादितुम् = | ……….. + | ……….. |
कृत्वा = | ……….. + | ……….. |
उत्तर 7:
पदानि = | धातु: + | प्रत्यय: |
यथा- गन्तुम् = | गम् + | तुमुन् |
द्रष्टुम् = | दृश + | तुमुन् |
करणीय = | कृ + | अनीयर |
पातुम् = | पा + | तुमुन् |
खादितुम् = | खाद् + | तुमुन् |
कृत्वा | कृ + | त्वा |