टोपी
Exercise : Solution of Questions on page Number : 124
प्रश्न 1: गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?
उत्तर : आदमी के कपड़े पहनने की बात को लेकर ‘गवरइया’ और ‘गवरा’ में बहस हुई। गवरहया को आदमी का रंग बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लगता था। जबकि गवरा का कहना था कि कपड़े पहनने से आदमी की असली खुबसूरती कम हो जाती है, वह बदसूरत लगने लगता है।
एक दिन घूरे पर चुगते−चुगते गवरइया को रूई का एक फाहा मिला। उसने इसे धुनवाया, कपड़ा बुनवाया फिर टोपी सिलवाई इसी से उसे टोपी पहनने की इच्छा पूरी करने का अवसर मिला।
प्रश्न 2: गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।
उत्तर :
गवरइया :- “आदमी को देखते हो? कैसे रंग − बिरंगे कपड़े पहनते हैं। कितना फबता है उन पर कपड़ा।”
गवरा :– “खाक फबता है। कपड़ा पहन लेने के बाद तो आदमी और बदसूरत लगने लगता है।”
गवरइया :- “लगता है आज लटजीरा चुग गए हो?”
गवरइया :- “कपड़े केवल अच्छा लगने के लिए नहीं मौसम की मार से बचने के लिए भी पहनता है आदमी।”
गवरा :- “तू समझती नहीं। कपड़े पहन − पहन कर जाड़ा−गरमी−बरसात सहने की उनकी सकत भी जाती रही है और कपड़ा पहनते ही पहनने वाले की औकात पता चल जाता है।”
गवरइया :- “फिर भी आदमी कपड़ा पहनने से बाज़ नहीं आता। नित नए – नए लिबास सिलवाता रहता है।”
गवरा :- “यह निरा पोंगापन है। अपन तो नंगे ही भले।”
गवरइया :- “उनके सिर पर टोपी कितनी अच्छी लगती है। मेरा भी मन टोपी पहनने का करता है।”
गवरा :- “टोपी तू पाएगी कहाँ से। टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत”।
प्रश्न 3: टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक−एक कार्य को लिखें।
उत्तर : टोपी बनवाने के लिए गवरइया रूई लेकर सबसे पहले धुनिया के पास गई। उसके बाद उत्साहित गवराइया एक कोरी के यहाँ घुनी रूई से सूत कातवाने गई। फिर वो सूत से कपड़ा बुनवाने के लिए एक बुनकर के पास गई । अन्तत: गवरइया कपड़ा लेकर टोपी सिलवाने के लिए एक दर्जी के पास गई। दर्जी ने उसके कपड़े से शर्त के अनुसार दो सुन्दर टोपियाँ सिल दी। एक टोपी उसने अपने पास रख ली तथा दूसरी टोपी गवरइया को दे दी। टोपी बनने के बाद दर्जी ने अपनी तरफ से उसमें पाँच फुँदने भी लगा दिए।
प्रश्न 4: गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?
उत्तर : गवरइया की टोपी पर दर्जी ने खुश होकर अपनी तरफ से पाँच फुँदने जड़ दिए। क्योंकि इस मुल्क में आज तक दर्जी को मेहनत करने के लिए किसी ने इतनी मज़दुरी नहीं दी थी। गवरइया ने दर्जी को टोपी बनाने के लिए अपने कपड़े में से आधा कपड़ा दे दिया था।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 125
प्रश्न 1: गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरैया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्ल की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे − मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होनेवाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे − टेम-टाइम, टेसन/टिसन − स्टेशन।
उत्तर :
(1) सकूल – स्कूल
(2) कम्पूटर – कम्प्यूटर
(3) टी.बी. – टी.वी.
प्रश्न 1: किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए।
उत्तर : यदि किसी कारीगर को उसकी मेहनत का उचित मुल्य नहीं मिलेगा तो वह या तो कार्य पूरा नहीं करेगा और यदि वह कार्य पूरा करने को तैयार भी हो जाएगा तो कार्य को फुर्ती से या खूबसूरती से नहीं कर पाएगा।
प्रश्न 2: गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य−विवरण तैयार कीजिए।
उत्तर : अपने अनुभव पर इसका उत्तर दें।
प्रश्न 3: गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।
उत्तर : किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मन में उत्साह होना आवश्यक है। उत्साह से ही हमारे मन में किसी भी कार्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। यदि हम किसी भी कार्य को बेमन से करेंगे तो निश्चय ही हमें उस कार्य में सफलता नहीं मिलेगी। कोई न कोई कमी ज़रूर रह जाएगी।
प्रश्न 1: टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्यों पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने को पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।
उत्तर : टोपी पहनकर गवरइया के राजा को दिखाने का मकसद गवरा को नीचा दिखाने से था। क्योंकि बहस के दौरान गवरा ने गवरइया से कहा था कि टोपी तो आदमियों के राजा पहनते हैं। गवरा के इसी बात को गलत साबित करने के लिए गवरइया टोपी पहनकर राजा के पास गई।
प्रश्न 2: यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता ?
उत्तर : यदि राजा के राज्य के सभी कारीगरों को अपने श्रम का उचित मूल्य मिलता तो गवरइया का कार्य पूरा करने से पहले कारीगर राजा का कार्य पूरा करते तथा राजा की टोपी भी गवरइया के टोपी के समान ही सुन्दर होती।
प्रश्न 3: चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा धागा बून रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?
उत्तर : चारों कारीगर राजा का काम कर रहे थे, परन्तु राजा द्वारा उन्हें उनके श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता था। गवरइया ने उन्हें उनके श्रम का उचित मुल्य दिया इसीलिए सभी कारीगरों ने राजा का काम रोककर पहले गवरइया का काम किया।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 126
प्रश्न 2: मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे − कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।
उत्तर : (1) टोपी उछालना :– (इज़्ज़त उछालना) एक गलत काम करने से आदमी की टोपी उछलते देर नहीं लगती।
(2)टोपी से ढ़ँक लेना :- (इज्ज़त ढ़क लेना) अपने घर की बात को टोपी से ढ़ँक लेना ही अच्छा है।