बस की यात्रा
Exercise : Solution of Questions on page Number : 17
प्रश्न 1: ”मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा”
•लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर : बस की हालत बहुत ही खस्ता थी। लेखक के अनुसार उस बस के अंदर बैठना अपने प्राणों का बलिदान देने जैसा था और उसका हिस्सेदार-साहब तो पूरे रास्ते उस बस की तारीफ़ों के पुल बाँधते रहे थे। उसकी बातें सुनकर तो उनको ये लग रहा था कि ये नई बस हो। जब गिरते-पड़ते वह बस चल रही थी, तो नाले के ऊपर पूलिया पर उसके खराब हो जाने पर सबके प्राण संकट में पड़ सकते थे। लेखक के अनुसार अगर बस स्पीड पर होती तो पूरी बस नाले पर जा गिरती, पर बस का मालिक था कि वो बस की खस्ता हालत में भी उसे चला रहा था पर उससे ये न हो सका कि वो बस के टायर ही नए लगवा लेता। लेखक को लगा हम सबसे महान तो ये है जो इसकी ऐसी हालत देखकर भी इस बस से यात्रा करने में तनिक भी घबराया नहीं। वाकई में ये काबिले-तारीफ़ है कि प्राणों की परवाह न कर इस पर बैठा है। तो उसकी उस पर विशेष श्रद्धा जाग गई।
प्रश्न 2: ”लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।”
• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर : उस बस की हालत ऐसी थी कि वो किसी भूतहा महल के भूत पात्र सा प्रतीत हो रहा था। उसका सारा ढाँचा बुरी हालत में था, अधिकतर शीशें टूटे पड़े थे। इंजन और बस की बॉडी का तो कोई तालमेल नहीं था। उसको देखकर स्वयं ही अंदाज़ा लग जाता था कि वो अंधेरे में कहीं साथ न छोड़ दे या कोई दुर्घटना न हो जाए। कई लोग पहले भी उस बस से सफ़र कर चुके थे। वो अपने अनुभवों के आधार पर ही लेखक व उसके मित्र को बस में न बैठने की सलाह दे रहे थे। उनकी जर्जर दशा से पता नहीं वह कब खराब हो जाए या दुर्घटना कर बैठे।
प्रश्न 3: ”ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उत्तर : लेखक के अनुसार से बस बहुत ही पुरानी थी। बस की हालत ऐसी थी कि कोई वृद्ध अपनी उम्र के चरम में था। उसको देखकर लेखक के मन में श्रद्धा जागृत हो रही थी। उस बस के इंजन के तो क्या कहने। लेखक कहता है बस के स्टार्ट होते हुए वो इतना शोर कर रहा था मानो कि उन्हें ऐसा लगा जैसे इंजन आगे नहीं अपितु पूरी बस में लगा हो, क्योंकि उसका इंजन दयनीय स्थिति में था। इससे पूरी बस हिल रही थी, इसलिए उन्हें लगा की सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।
प्रश्न 4: ”गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।”
• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर : लेखक को जब उस बस में बैठते हुए मन ही मन बस के चलने पर आशंका हुई तो उसकी आशंका को मिटाने के लिए बस के हिस्सेदार ने बस की प्रशंसा बढ़ा-चढ़ाकर की। लेखक को संदेह था इसलिए उसने इस संदेह के निर्वाण हेतु बस के हिस्सेदार से पूछ ही लिया क्या ये बस चलेगी? और बस हिस्सेदार ने उतने ही अभिमान से कहा – अपने आप चलेगी, क्यों नहीं चलेगी, अभी चलेगी। पर लेखक को उसके कथन में सत्यता नहीं दिखाई दे रही थी। अपने आप कैसे चलेगी? उसके लिए तो हैरानी की बात थी कि एक तो ऐसी खस्ता हालत बस की थी फिर भी वो कह रहा था चलेगी और अपने आप चलेगी। ये हैरान कर देने वाली बात थी।
प्रश्न 5: ”मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।”
• लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर : बस की हालत ऐसी थी जिसे देखकर कोई भी व्यक्ति को संदेह होता परन्तु लेखक ने फिर भी उसमें बैठने की गलती की। लेकिन उसे अपनी गलती का अहसास तब हुआ जब बस स्टार्ट हो गई और उसमें बैठकर यात्रा करते हुए उसे इस बात को पूरा यकीन हो गया कि ये बस कभी भी धोखा दे सकती है। मार्ग में चलते हुए उसे हर वो चीज़ अपनी दुश्मन सी लग रही थी जो मार्ग में आ रही थी। फिर चाहे वो पेड़ हो या कोई झील। उसे पूरा यकीन था कि बस कब किसी पेड़ से टकरा जाए और उनके जीवन का अंत हो जाए। इसी विश्वास ने लेखक को पूरी तरह भयभीत किया हुआ था कि अब कोई दुर्घटना घटी और हमारे प्राण संकट में पड़ गए।
Exercise : Solution of Questions on page Number : 18
प्रश्न 1: बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।
उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से युक्त आप भी दो-दो वाक्य बनाइए।
उत्तर :
(1) बस – वाहन
(i) हमारी स्कूल बस हमेशा सही वक्त पर आती है।
(ii) 507 नंबर बस ओखला गाँव जाती है।
(2) वश – अधीन
(i) मेरे क्रोध पर मेरा वश नहीं चलता।
(ii) सपेरा अपनी बीन से साँप को वश में रखता है।
(3) बस – पर्याप्त (काफी)
(i) बस, बहुत हो चुका।
(ii) तुम खाना खाना बस करो।
प्रश्न 2: ”हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।”
ने, की, से आदि शब्द वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह जब दो वाक्यों को एक साथ जोड़ना होता है ‘कि’ का प्रयोग होता है।
•कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।
उत्तर : (i) बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस से जा रहे थे।
(ii) बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य चलती होगी।
(iii) यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं।
(iv) ड्राइवर ने तरह-तरह की तरकीबें की पर वह नहीं चली।
प्रश्न 3: ”हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।”
‘सरकना’ और ‘रेंगना’ जैसी क्रिया दो प्रकार की गति बताती है। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैस-घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर : रफ्तार – बस की रफ्तार बहुत ही तेज़ थी।
चलना – बस का चलना ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हवा से बातें कर रही हो।
गुज़रना – वह उस रास्ते से गुज़र रहा है।
गोता खाना – वह आज स्कूल से गोता खा गया।
प्रश्न 4: ”काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”
इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में।
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।
(क) जल (ख) फल (ग) हार
उत्तर : (क) जल- जल जाने पर जल डालकर, मेरे हाथ की जलन कम हो गई।
(ख) फल – फल पाने के लिए मुझे व्रत में फल का फलाहार करना पड़ा।
(ग) हार – हार के विषय में न आने के कारण, मैंने हार का मुँह देखा और मुझे मयंक से हारना पड़ा।
प्रश्न 5: भाषा की दृष्टि से देखें तो हमारी बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द फर्स्ट क्लास में दो शब्द हैं-फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है।
महान आदमी में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर : (i) गुणवाचक विशेषण –
हरी घास,
छोटा आदमी
(ii) संख्यावाचक विशेषण –
चार संतरे
दूसरी बिल्ली