आरोह भाग -1 दुष्यंत कुमार (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए )
प्रश्न 1:आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।
उत्तर : आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा अवश्य हुई है। यह एक खास तरह के फूलदार वृक्ष होते हैं। मगर शायर ने इसका सांकेतिक अर्थ लिया है। इस वृक्ष को सौंदर्य तथा शांति का प्रतीक माना जाता है। यह मनुष्य को आज़ादी का अनुभव करवाता है। अतः आज़ादी इसका सांकेतिक अर्थ है।
प्रश्न 2: पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में आया है। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है?
उत्तर : शेर में पहली बार ‘चिरागाँ’ शब्द का प्रयोग किया गया है। यह बहुवचन शब्द है। यह साधारण जनता में आज़ादी का प्रकाश बिखेरने की बात करता है। दूसरी बारी में ‘चिराग’ शब्द का प्रयोग किया गया है, यह सीमित साधन को दर्शाता है। जहाँ पूरे शहर के लिए मात्र एक चिराग को दर्शाया जा रहा है।
प्रश्न 3:गज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?
उत्तर : गज़ल के तीसरे शेर में दुष्यंत का इशारा सुंतष्ट लोगों की ओर किया गया है। ये लोग हर स्थिति से समझौता कर लेते हैं। सीमित इच्छाएँ रखने वाले और समय के अनुसार स्वयं को उसमें ढाल लेने वाले लोग इसमें आते हैं।
प्रश्न 4:आशय स्पष्ट करें:
तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की,
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।
उत्तर : दुष्यंत की इस गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।
प्रश्न 5:दुष्यंत की इस गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।
उत्तर : दुष्यंत की गज़ल पढ़कर पता चलता है कि उसकी गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है। समय के अनुसार बदलाव की आवश्यकता भी है। बदलाव है, जो समाज तथा राजनीति के स्वरूप को संभाले हुए हैं। अन्यथा इनका विकृत रूप व्यक्ति का जीवन नष्ट कर दे। बदलाव की स्थिति हर कोई चाहता है। बदलाव में नवजीवन छिपा हुआ है। जहाँ बदलाव नहीं, वहाँ रहना संभव नहीं है।
प्रश्न 6:हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है
दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?
उत्तर : दोनों शेरों को पढ़ने का बाद पता चलता है कि दोनों ही शायर कल्पना में जीना चाहते हैं। दोनों ही जन्नत और आदमी द्वारा देखे जाने वाले ख्याबों की सच्चाई को जानते हैं। परन्तु वे यह भी जानते हैं कि जीने के लिए मनुष्य के पास कुछ तो होना चाहिए। कई बार सच्चाई के धरातल में खड़े होने से अच्छा होता है कि झूठ में जिया जाए। वह जीवन को थोड़ा सरल बना देता है। अतः इस कारण गालिब और दुष्यंत के शेर आपस में जुड़ते प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 7: ‘यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है’, यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों में लागू होता है, जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें।
(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, ………………………………
(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, ………………………………
(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, ……………………………….
(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, ………………………..
उत्तर :
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है
रिश्तों की भीड़ में, जिंदगी अकेली लगती है।
(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, जहाँ एकता नहीं है।
(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, जहाँ अध्यापका अच्छे नहीं है।
(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, जहाँ बहुत अच्छा इलाज़ होता है।
(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, जहाँ नियमों की अनदेखी होती है।