आरोह भाग -1 बालमुकुंद गुप्ता (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए )
प्रश्न 1: शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर : शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक बताना चाहता है कि भारतवासियों के साथ-साथ यहाँ के जानवरों तक में करुणा की भावना विद्यमान हैं। वे इतने भावुक एवं उदार होते हैं कि अपने शत्रु के जाने पर भी दुखी हो उठते हैं। शिवशंभु के पास दो गाय थीं। एक बलवान थी और दूसरी दुर्बल। बलवान गाय हमेशा दुर्बल गाय को मार देती थी। जब शिवशंभु ने बलवान गाय को ब्राह्मण को दे दिया, तो दुर्बल गाय ने खाना छोड़ दिया। वह उसके जाने से दुखी थी, जो उसे हमेशा सताती थी। अतः इससे पता चला है कि भारतीयों के लिए अलग होने का दुख बहुत बड़ा होता है।
प्रश्न 2:आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया–
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति में लेखक बंग-भंग की बात कर रहा है। लॉर्ड कर्जन ने भारत के एक भाग बंगाल को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया। अब बंगाल पूर्वी तथा पश्चिमी भागों में बंट गया। बाद में बंगाल का यही पूर्वी भाग बांग्लादेश के रूप में स्थापित हो गया। भारत की आठ करोड़ प्रजा ने लॉर्ड कर्जन के आगे गुहार लगाई। उसे ऐसा करने के लिए मना किया मगर उसने किसी की न सुनी और भारत बंग-भंग करवाकर दम लिया। उसकी जिद्द के आगे कोई टिक न सका।
प्रश्न 3:लॉर्ड कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?
उत्तर : लॉर्ड कर्जन किसी फौजी व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार एक पद देना चाहता था। उसकी यह बात ब्रिटिश शासन द्वारा अस्वीकार कर दी गई। उसने अपना क्रोध दिखाने तथा शासन पर दबाव बनाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लॉर्ड कर्जन ने सोचा था कि उसकी बात मान ली जाएगी लेकिन हुआ इसके विपरीत। शासन ने इस्तीफे को स्वीकार कर लिया।
प्रश्न 4:बिचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे! आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : लेखक इन पंक्तियों के माध्यम से कर्जन पर व्यंग्य कसता है। वह कहता है कि पहले भारत में आपके आगे बड़े-बड़े राजा-महाराजा तक हाथ बाँधे खड़े रहते थे। आपका हाथी सबसे पहले जाया करता था। आपकी शान यहाँ देखने लायक थी। वह बहुत ऊँचाई पर चला गया था। आज स्थिति बदल गई है। उसी ऊँचाई से गिरकर वह जमीन पर आ गया है। उसे अपनी सच्चाई का पता चल गया है। उसे भारत से निकाला जा चुका है। ब्रिटिश शासन ने उसकी छोटी- सी माँग को न मानकर उसकी सारे भारत के सामने बेइज़्ज़ती कर दी है।
प्रश्न 5:आपको और यहाँ के निवासियों के बीच कोई तीसरी शक्ति भी है– यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?
उत्तर : यहाँ तीसरी शक्ति से लेखक का तात्पर्य ब्रिटिश शासन से हैं। इसके आगे कर्जन की एक न चल और उसे नौकरी से इस्तीफ़ा देना पड़ा। कर्जन स्वयं को सबकुछ समझते थे। उन्हें ब्रिटिश शासन ने बता दिया कि वह ब्रिटिश शासन का एक अंग हैं। ब्रिटिश शासन के नीचे भारवासी तथा लार्ड कर्जन हैं। यही इन दोनों को चलाती है। यह अपनी मर्जी से चलती है। इस पर किसी का बस नहीं चलता है।
प्रश्न 6:पाठ का यह अंश ‘शिवशंभु के चिट्ठे‘ से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?
उत्तर : अंग्रेज़ों के शासनकाल में प्रेस को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी। अतः लोग दूसरे नाम से लेख छपवाते थे। इस तरह से वे अंग्रेज़ी शासन की नज़र से बचे रहते और शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाया करते थे। बालमुकुंद ने स्वयं को अंग्रेज़ी शासन के प्रकोप से बचाने के लिए यह उपाय निकाला। उन्होंने ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ नाम से लेख लिखा।
प्रश्न 7:नादिर से भी बढ़कर आपकी जिद्द है– लॉर्ड कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष तथा विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर : विपक्ष- नादिरशाह ने जब दिल्ली में आक्रमण किया, तो उसने 2 करोड़ रुपयों की माँग की थी। बाद में उसकी माँग 20 करोड़ रुपयों पर आ गई। दिल्ली शासन उस माँग को देने में असमर्थ था। नादिरशाह ने अपने सैनिकों को लूटपाट करने की छूट दे दी। कई लाखों जाने गई। उसे रोकने की तब किसी में भी हिम्मत न थी। ऐसे में नादिरशाह की तलवार को अपने गले में रखकर एक व्यक्ति ने प्रार्थना की थी। इस तरह से दोनों में समानता थी। दोनों ने किसी की परवाह नहीं की बस अपनी जिद्द को प्रमुख रखा। उनके लिए लोगों के दर्द से कोई सरोकार नहीं था। वे बस अपनी मर्जी को महत्व देते थे।
पक्ष- नादिरशाह की कहानी से पता चलता है कि नादिरशाह और कर्जन में समानता नहीं है। कर्जन ने भी भारत को लूटा मगर खून-खराबा नहीं किया। उसने चुपचाप बंगाल का विभाजन कर दिया। लेखक ने कर्जन की तुलना नादिरशाह से करके उचित नहीं किया है। यह अवश्य है कि भारत का विभाजन करके उसने गलत किया मगर नादिरशाह की तुलना में वह बहुत बुरा नहीं था। उसमें बंग विभाजन का आरोप लगाया जा सकता है मगर नादिरशाह से तुलना नहीं की जा सकती।
प्रश्न 8: क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है? – इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस परिचर्चा कीजिए।
उत्तर : इन पंक्तियों को पढ़े तो लगता है कि मनमाने तरीके से राज करना ही शासन है। ऐसे शासन में प्रजा की बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता है और उनका खुला शोषण किया जाता है। यह शासन नहीं कहलाता है। शासक का कार्य है देश तथा प्रजा के हितों का ख्याल रखना। उनको सुरक्षा प्रदान करता तथा उनके विकास के लिए हर संभव कार्य करना। एक शासक की छाँव में देश तथा प्रजा जन सुरक्षित तथा खुशहाल रहते हैं। वह प्रजा के अनुसार कार्य करता है। प्रजा के विरुद्ध और उसके अहित करने वाले तंत्र का शासन नहीं कहा जा सकता है।
प्रश्न 9:इस पाठ में आए अलिफ़लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर : अलिफ़लैला- यह एक प्रसिद्ध कहानी है। यह कथाओं का एक संग्रह है। यह अरबी साहित्य की रचना है। इसमें हज़ार कहानियों का संग्रह है। वैसे अलिफ शब्द ‘अल्फ’ शब्द से बना है। इसका अर्थ ‘एक हज़ार’ है तथा लैला का ‘रात’ अर्थ है।
अलहदीन- यह भी एक प्रसिद्ध कहानी है। यह आज ‘अलादीन और चिराग’ के नाम से जानी जाती है। यह ‘द अरेबियन नाइट’ से ली गई कहानी है। इसका पात्र अलहदीन है और उसे एक जादूगर अपने साथ चिराग हासिल करने के लिए ले जाता है। वह उसे गुफा में एक अंगूठी देकर भेजता है। वहाँ पर अलादीन चिराग हासिल कर लेता है मगर पहले जादूगर को बाहर निकालने के लिए कहता है। जादूगर क्रोध में आकार उसे वहीं छोड़ देता है। अंगूठी की सहायता से वह बाहर निकल आता है और घर जाकर चिराग को घिसने पर उसमें छिपे जिन्न का पता चलता है। उस जिन्न की सहायता से वह राजा के समान हो जाता है और राजकुमारी से निकाह कर लेता है। जादूगर को जब पता चलता है, तो वह उससे धोखे से चिराग ले लेता है। चिराग की सहायता से वह अलादीन का सबकुछ लेकर किसी ओर स्थान पर चला जाता है। अलादीन जादूगर की दी अँगूठी से पुनः जादूगर के महल में पहुँच जाता है और उसे मारकर अपना सबकुछ वापिस पा लेता है।
अबुल हसन- कुतुबशाही वंश जो कि गोलकुंडा के शासक थे। यह आंध्र प्रदेश में स्थित है। अबुल हसन इसी कुतुबशाही वंश का आखिरी सुल्तान था।
बगदाद के खलीफा- यह बगदाद के शासक की पदवी का नाम है।
प्रश्न 10: वे दिन-रात यही मनाते ते कि जल्द श्रीमान यहाँ से पधारें। सामान्य तौर पर आने के लिए पधारें शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ पधारें शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर : इसमें पधारें शब्द का अर्थ चले जाने से हैं।
प्रश्न 11:पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेन्दु युगीन हिन्दी) हुआ है। उन्हें सामान्य हिन्दी में लिखिए-
(क) आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत को उनको जाना पड़ा।
(ख) आप किस को आए थे और क्या कर चले ?
(ग) उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा।
(घ) पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से लाभ करे।
उत्तर :
(क) पहले भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उन्हें भी जाना पड़ा।
(ख) आप किसलिए आए थे और क्या करके जा रहे हैं ?
(ग) उनके कहने पर एक आदमी नौकरी पर नहीं रखा गया।
(घ) मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम फिर उठो और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करो।