अंतरा भाग -1 महादेवी वर्मा (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए )
प्रश्न 1:’जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवियत्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?
उत्तर : ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को निम्नलिखित विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है-
(क) वे कह रही हैं कि हिमालय के हृदय में कंपन हो रहा है। इससे भूकंप की स्थिति बन सकती है लेकिन तुझे बढ़ना है। इस कंपन से तुझे डरना नहीं है।
(ख) प्रलय की स्थिति बन गई है। ऐसी स्थिति में मनुष्य घबरा जाता है, तुझे निरंतर बढ़ना है।
(ग) चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ है। तुझे इस स्थिति में कुछ दिखाई न दे फिर भी तुझे बढ़ना है।
प्रश्न 2:’मोम के बंधन’ और ‘तितलियों के पर’ का प्रयोग कवयित्री ने किस संदर्भ में किया है और क्यों?
उत्तर : ‘मोम के बंधन’ का संदर्भ कवयित्री ने स्त्री के बाहों के बंधन से लिया है। उनके अनुसार ये बंधन एक व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोक सकते हैं। अतः लेखिका उससे पूछती है कि क्या तू इन बंधनों के कारण रूक जाएगा। इसी प्रकार कवयित्री ‘तितलियों के पर’ को यौवन से युक्त युवतियों के प्रति युवक के आकर्षण को व्यक्त कर रही हैं। कवयित्री व्यक्ति को इन आकर्षण से स्वयं को मुक्त करने के लिए प्रेरित करती है।
प्रश्न 3:कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?
उत्तर : कवयित्री व्यक्ति को अपने परिजनों के मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होने का संदेश देती है। उनके अनुसार मनुष्य के मार्ग में ये बंधन सबसे बड़ी बाधा होते हैं। ये बंधन मनुष्य को आगे नहीं बढ़ने देते हैं। इसमें उसकी प्रेमिका के बाँहों का बंधन भी है, जो उसे रोके रखता है। कवयित्री इन बंधन को तोड़कर मानव को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
प्रश्न 4:कविता में ‘अमरता-सुत’ का संबोधन किसके लिए और क्यों आया है?
उत्तर : कवयित्री के अनुसार जो व्यक्ति जीवन मार्ग पर चलता है, वह अमरता-सुत है। आत्मा या जीवात्मा अमर होती है। वह न कभी मरती है और न जल सकती है। वह अमर-अजर है। वह परमात्मा का ही अंश है। यही कारण है कि हर व्यक्ति में विद्यमान आत्मा को ही अमरता-सुत कहा गया है।
प्रश्न 5: ‘जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोतलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।
उत्तर : इस गीत की रचना तब की गई थी, जब भारत में स्वतंत्रता की लहर उठनी आरंभ हो रही थी। देशवासी आज़ादी तो चाहते थे परन्तु उस लड़ाई में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने में डर रहे थे। इसके पीछे बहुत से कारण विद्यमान थे। वे स्वार्थवश और आलस्यवश चुप थे। उनके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए जागरण गीतों की रचना हुई। महादेवी ने भी ऐसे ही गीत की रचना की। यह गीत सोए हुए भारतीयों को जगाता है। महादेवी भारतवासियों को जागकर चलने के लिए प्रेरित करती है। वह यह भी बताती है कि इस पर चलते हुए उसे बहुत प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। उसे इनसे डरना नहीं है। सभी तरह के बंधनों से मुक्त होकर बस बढ़ते चलना है। इसकी मूल संवेदना आज़ादी प्राप्त करना है। आज़ादी के पथ पर चलते हुए उसे निडरतापूर्वक बढ़ना है।
प्रश्न 6:निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) विश्व का क्रंदन ………………. अपने लिए कारा बनाना!
(ख) कह न ठंडी साँस ………………… सजेगा आज पानी।
(ग) है तुझे अंगार-शय्या ……………….. कलियाँ बिछाना!
उत्तर :
(क) कवयित्री कहती है कि भंवरें की मधुर गुनगुन क्या उसे विश्व का क्रंदन भुलाने देगी। फूल में विद्यमान ओस की बूँदे किसी व्यक्ति को डूबा सकते हैं। तुझे अपनी छाँव रूपी कैद से बाहर निकलना है। इसका काव्य सौंदर्य बहुत अद्भुत है। प्रेमिका के मधुर वचनों को भंवरें की गुनगुन के समान बताया गया है। मनुष्य को दृढ़ता से चलने के लिए कहा गया है। ‘मधुप की मधुर’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। ओज गुण का समावेश है तथा ‘कारा’ शब्द लाक्षणिकता को दर्शाता है।
(ख) जो जीवन में पीड़ा, वेदना व करुणा को ही सबकुछ मानते हैं कवयित्री ऐसे लोगों को झकझोरते हुए कहती है कि अब इन बातों को जलती हुई कहानी के समान छोड़ दे। इसमें कवयित्री लोगों को अपनी असफलताओं को भूल जाने के लिए कहती है। वे मनुष्य को अपने हृदय में आग भरने के लिए प्रेरित करती है। उस में आग लक्षणा शक्ति का द्योतक है। श्लेष अलंकार ‘पानी’ शब्द में दिखाई देता है।
(ग) कवयित्री क्रांतिकारी को अपनी कोमल भावनाओं का बलिदान देने के लिए कहती है। ‘अंगार शय्या’ में रूपक अलंकार का प्रयोग है। ‘अंगार शय्या पर मधुर कलियाँ बिछाना’ में विरोध का आभास होता है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
प्रश्न 7:कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर निम्नलिखित गुणों का विस्तार करना चाहा है-
(क) वह मनुष्य को दृढ़-निश्चय होकर चलने के लिए प्रेरित करती है। इस तरह मनुष्य दृढ़ निश्चयी बनता है।
(ख) वह उसमें आलस्य हटाकर परिश्रम हटाने के लिए प्रेरित करती है। अतः वह उसमें परिश्रम के गुण का विकास करती है।
(ग) वह उसे विषम परिस्थितियों में निडर होकर बढ़ने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें निडरता के गुण का समावेश करती है।
(घ) वह उसे मोह त्यागने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें भावुकता के स्थान पर देशप्रेम का बीज बोती है।
(ङ) वह उसे जागरूता के गुण का समावेश करती है। उसके अनुसार इस लड़ाई में उसे जागरूक होकर चलना पड़ेगा।
(च) वह उसके हृदय से मृत्यु का भय निकालकर जीवन का सही उद्देश्य बताना चाहती है। इस तरह वह उसके अंदर लक्ष्य को पहचानकर उसे पूरा करने के गुण का विस्तार करती है।
प्रश्न 8:महादेवी वर्मा ने ‘आँसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग किस संदर्भ में किया है और क्यों?
उत्तर : ‘आँसू’ पवित्रता का प्रतीक हैं। इनमें छल-कपट नहीं होता है। यह तो पवित्र तथा निर्मल भावना का प्रतीक हैं। सभी की कल्पनाओं में चूंकि सत्य पलता है। अतः ये निराधार नहीं होते हैं।
प्रश्न 9:सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवयित्री ने किस यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है?
उत्तर : सपनों को सत्य करने के लिए कवयित्री ने इन यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने के लिए कहा है-
(क) दीपक के समान जलने को कहा है।
(ख) फूल के समान खिलने को कहा है।
(ग) कठोर स्वभाव के अंदर भी करुणा की भावना को रखना।
(घ) जीवन में सत्य की झलक को दिखाकर।
(ङ) हर व्यक्ति के अंदर व्याप्त सच्चाई को जानकर।
प्रश्न 10:’नीलम मरकत के संपुट दो, जिनमें बनता जीवन-मोती’ पंक्ति में ‘नीलम मरकत’ और ‘जीवन-मोती’ के अर्थ को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : ‘नीलम मरकत’ को कविता के संदर्भ में जन्म और मरण के रूप में लिया गया है।
‘जीवन-मोती’ को जीवन के रूप में बताया गया है। जो जन्म और मरण के मध्य बनता है।
प्रश्न 11:प्रकृति किस प्रकार मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होती है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रकृति अपने विभिन्न रुपों के माध्यम से मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होती है। इसमें फूलों में व्याप्त मकरंद, दीए की लौ, झरनों के पानी का चंचल रूप में बहना, प्रकृति का करुणा रूपी जल, आकाश के तारे, बिजली और बादल, अंकुर फुटते हुए बीज इत्यादि मनुष्य के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करते हैं और मनुष्य की सहायता करते हैं। मनुष्य इन्हें देखकर उत्साहित होता है और आगे निडरतापूर्वक बढ़ता है।
प्रश्न 12:निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) आलोक लुटाता वह ……… कब फूल जला?
(ख) नभ तारक-सा …………. हीरक पिघला?
उत्तर :
(क) भाव यह है कि दीपक स्वयं जलकर संसार में प्रकाश को फैलाता है तथा फूल खिलकर अपनी सुगंध फैलाता है। अपने कार्य से दोनों पक्के साथी हैं। ध्यान दिया जाए, तो दोनों में इस समानता के बाद भी अंतर है। दीपक खिल नहीं पाता है और फूल जल नहीं सकता है। अतः स्वभावगत विशेषता के कारण दोनों अलग-अलग हैं। यही इनका सत्य है। भाव यह है कि इस संसार में बहुत से मनुष्य रहते हैं। उनमें कुछ समानताएँ हो सकती हैं पर वे अलग-अलग व्यक्तित्व के स्वामी है, जो उन्हें अलग कर देती है।
(ख) एक व्यक्ति आकाश के तारों के जैसा है। जो टूटे-फूटे होते हुए भी प्रसन्नता से सुरधरा को चूमता है। दूसरा अंगारों के समान मधु रस का पान करते हुए केशर रूपी किरणों के जैसे झूम रहा है। ये दोनों अपने तरीके से जीवन के ढंग को अपना रहे हैं। बहुमूल्य बनी रहने की इच्छा में स्वर्ण को कभी टूटते देखा है या हीरे को कभी पिघलते पाया है। दोनों स्वयं के अस्तित्व के लिए जी रहे हैं। भाव यह है कि मनुष्य को अपना मूल्य समझाने के लिए गलत मार्ग में चलने की आवश्यकता नहीं है। वह निरंतर परिश्रम और प्रयास से अपने को संसार में आदर्श के रूप में स्थापित कर सकता है।
प्रश्न 13:काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
संसृति के प्रति पग में मेरी …………. एकाकी प्राण चला!
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में ‘प्रति पग’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है। इन पंक्तियों में रहस्यवाद के दर्शन मिलते हैं। यही कारण है कि भाषा में रहस्यात्मकता का प्रभाव दिखाई देता है।
प्रश्न 14:’सपने-सपने में सत्य ढला’ पंक्ति के आधार पर कविता की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस पंक्ति के आधार पर कविता की मूल संवेदना यह दृष्टिगोचर होती है कि हर मनुष्य का अपना सच है। यही वास्तविकता है और यही सत्य मनुष्य को अपने लक्ष्य तक पहुँचाती है। प्रत्येक मनुष्य के स्वप्न में वह हर पल रहता है। प्रकृति के वे यथार्थ जो परिवर्तनशील हैं, उनके माध्यम से मनष्य स्वयं के सपनों को साकार कर सकता है।
प्रश्न 15:स्वाधीनता आंदोलन के कुछ जागरण गीतों का एक संकलन तैयार कीजिए।
उत्तर : विद्यार्थी इस विषय पर स्वयं कार्य कीजिए।
प्रश्न 16: महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं को पढ़िए और महादेवी वर्मा की पुस्तक ‘पथ के साथी’ से सुभद्रा कुमारी चौहान का संस्मरण पढ़िए तथा उनके मैत्री-संबंधों पर निबंध लिखिए।
उत्तर : महादेवी वर्मा की मुलाकात सर्वप्रथम सुभद्रा कुमारी चौहान से क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में हुई थी। वे महादेवी से सीनियर थीं। मगर दोनों में बहनों जैसा प्यार और गया था। उस समय सुभद्रा जी कविता लिखना आरंभ कर चुकी थी और महादेवी तुक मिलाती थीं। सुभद्रा कुमारी को खड़ी बोली में लिखता देखकर महादेवी को उस भाषा में लिखने की प्रेरणा मिली। वरना इससे पहले महादेवी अपनी माताजी के प्रभाव के कारण ब्रज में लिखती थीं। सुभद्रा जी के साथ महादेवी ने तुक मिलाएँ और जो कविता बनती उन्हें ‘स्त्री दर्पण’ में भेजना आरंभ कर दिया। अतः स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि सुभद्रा कुमारी जी महादेवी के कवि जीवन की सबसे पहली साथिन थीं। इन्होंने ही महादेवी को मार्ग दिखाया। दोनों सखियाँ आजीवन एक दूसरे के साथ रहीं। यह दो ऐसी औरतों की मित्रता थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी कविताओं के माध्यम से सरकार को हिला दिया।